पहले ऑपरेशन ब्लू स्टार और उसके बाद 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों पर राहुल गांधी का रुख क्या है? यह सवाल तब भी उठा जब 'भारत जोड़ो यात्रा' पंजाब से होकर गुजरी। पंजाब में विपक्ष द्वारा माफ़ी मांगने की मांग के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 1984 के दंगों पर संसद में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा अपनाए गए रुख का समर्थन किया। इसके साथ ही उन्होंने पूर्व कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के रुख का भी समर्थन किया।
राहुल का यह बयान तब आया है जब भारत जोड़ो यात्रा के बीच ही लुधियाना में कांग्रेस भवन की दीवारों पर 1947 में देश के विभाजन और 1984 के सिख विरोधी दंगों में उनकी पार्टी की भूमिका पर सवाल करने वाले पोस्टर दिखाई दिए थे। 12 जनवरी को जब यात्रा लुधियाना पहुँची तो 1984 के दंगों के पीड़ितों ने शहर में विरोध प्रदर्शन किया, पुतले जलाए और सिख नरसंहार पर उनसे माफी की मांग की।
शिअद और भाजपा ने भी राहुल पर निशाना साधा। पंजाब बीजेपी के अध्यक्ष अश्विनी शर्मा ने आरोप लगाया था, 'कांग्रेस को 1984 के दंगों पर आज तक कभी शर्म नहीं आई। मुझे उम्मीद है कि कम से कम अब वह (राहुल) अपने परिवार के इस जघन्य कृत्य के लिए सिखों से माफी मांगेंगे।'
बहरहाल, प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने कहा कि सिख समुदाय देश की 'रीढ़ की हड्डी का हिस्सा' है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत उनके योगदान के बिना भारत नहीं होगा।
अगस्त 2005 में मनमोहन सिंह ने सिख विरोधी दंगों के लिए संसद और देश के सदस्यों से माफी मांगी थी।
उन्होंने राज्यसभा में कहा था, 'मुझे न केवल सिख समुदाय बल्कि देश से भी माफी मांगने में कोई हिचकिचाहट नहीं है। मैं शर्म से अपना सिर झुकाता हूँ कि ऐसा कुछ हुआ था।' उन्होंने कहा था कि 1984 में जो हुआ वह हमारे संविधान में निहित राष्ट्रीयता की अवधारणा का खंडन है।
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2019 में पूर्व प्रधानमंत्री आई के गुजराल की 100वीं जयंती के अवसर पर एक कार्यक्रम में मनमोहन सिंह ने कहा था कि अगर तत्कालीन गृहमंत्री नरसिम्हा राव ने पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल की सलाह पर अमल किया होता तो इन दंगों को रोका जा सकता था।
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘जब 1984 के दंगे हो रहे थे तो गुजराल जी बहुत चिंतित थे और वह गृह मंत्री नरसिम्हा राव के पास गए। उन्होंने राव को बताया कि हालात बेहद ख़राब हैं और सेना को जल्द से जल्द बुलाया जाना बेहद ज़रूरी है। अगर उस सलाह पर ध्यान दिया गया होता तो 1984 के दंगों को रोका जा सकता था।'
इससे पहले 1998 में सोनिया गांधी ने कहा था कि वह सिखों के दर्द को समझ सकती हैं क्योंकि उन्होंने खुद इसका अनुभव किया है। हिंसक घटनाओं में ही सोनिया ने अपने पति राजीव और सास इंदिरा गांधी को खो दिया था। सोनिया ने कहा था, 'हमने सामूहिक रूप से जो कुछ खोया है उसे याद करने का कोई फायदा नहीं है। कोई भी शब्द उस दर्द पर मरहम नहीं लगा सकता। दूसरों की सांत्वना हमेशा खोखली लगती है... मेरे परिवार की तीन पीढ़ियों ने देश की आजादी की लड़ाई में योगदान दिया है। मैं उनकी ओर से आपसे उनके सपनों की जीत सुनिश्चित करने के लिए कहती हूँ।'
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