कांग्रेस अब तक के अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। लगातार दो लोकसभा चुनावों में हार का कीर्तिमान बना चुकी पार्टी अब नए अध्यक्ष की तलाश में है।
1885 में अपनी स्थापना के बाद से कांग्रेस अब तक के अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। सबसे पुराने दल के रूप में पार्टी ने तमाम उतार-चढ़ाव देखे हैं। लगातार दो लोकसभा चुनावों में हार का कीर्तिमान बना चुकी पार्टी अब नए अध्यक्ष की तलाश में है।
कांग्रेस में रही है नेताओं की समानांतर फ़ौज़
कांग्रेस अध्यक्ष चुनना पार्टी के इतिहास में शायद ही कभी इतना जटिल रहा है। पार्टी की स्थापना के बाद से ही नेताओं की पूरी श्रृंखला होती थी। गोपाल कृष्ण गोखले के दौर में मदन मोहन मालवीय, मोतीलाल नेहरू, बाल गंगाधर तिलक जैसे नेता थे। उसी तरह जब मोहनदास करमचंद गाँधी का दौर आया तब भी नेताओं का संकट नहीं रहा। गाँधी के समानांतर ही जवाहरलाल नेहरू, बल्लभ भाई पटेल, सुभाष चंद्र बोस, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, राजेंद्र प्रसाद, लाल बहादुर शास्त्री, गोविंद बल्लभ पंत जैसे नेता थे। उसके बाद इंदिरा के दौर में इंडिकेट और सिंडिकेट में विभाजन के समय भी पार्टी में मेहनती, विचारों के प्रति निष्ठावान नेताओं की कोई कमी नहीं थी। तब मोरारजी देसाई, निजलिंगप्पा, एस के पाटिल, नीलम संजीव रेड्डी, चंद्रशेखर, हेमवती नंदन बहुगुणा, जैसे दिग्गज नेता थे। क्या आज ऐसे नेता कांग्रेस में हैं? ऐसा कोई सर्वमान्य, मेहनती विश्वसनीय चेहरा जिसे पार्टी का अध्यक्ष बनाया जा सके?