राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री मोदी ने 'चंदे के धंधे' को छिपाने की पूरी ताक़त झोंक दी है। इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी सार्वजनिक करने के लिए एसबीआई द्वारा चार महीने का समय मांगे जाने को लेकर राहुल ने कहा है कि चुनाव से पहले मोदी के ‘असली चेहरे’ को छिपाने का यह ‘अंतिम प्रयास’ है।
राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि एक क्लिक पर निकाली जा सकने वाली जानकारी के लिए 30 जून तक का समय मांगना बताता है कि दाल में कुछ काला नहीं है, पूरी दाल ही काली है। कांग्रेस नेता ने पूछा है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड का सच जानना देशवासियों का हक़ है, तब एसबीआई क्यों चाहता है कि चुनाव से पहले यह जानकारी सार्वजनिक न हो पाए?
नरेंद्र मोदी ने ‘चंदे के धंधे’ को छिपाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 4, 2024
जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इलेक्टोरल बॉण्ड का सच जानना देशवासियों का हक़ है, तब SBI क्यों चाहता है कि चुनाव से पहले यह जानकारी सार्वजनिक न हो पाए?
एक क्लिक पर निकाली जा सकने वाली जानकारी के लिए 30 जून तक…
राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि देश की हर स्वतंत्र संस्था ‘मोडानी परिवार’ बन कर उनके भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने में लगी है। उनकी यह प्रतिक्रिया तब आई है जब एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर भारतीय चुनाव आयोग को चुनावी बॉन्ड के संबंध में जानकारी देने के लिए 30 जून, 2024 तक समय बढ़ाने की मांग की है।
याचिका में एसबीआई ने कहा है कि 12 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी, 2024 के बीच विभिन्न दलों को चंदा देने के लिए 22,217 चुनावी बॉन्ड जारी किए गए थे। भुनाए गए बॉन्ड प्रत्येक चरण के अंत में अधिकृत शाखाओं द्वारा सीलबंद लिफाफे में मुंबई मुख्य शाखा में जमा किए गए थे। एसबीआई ने कहा कि चूंकि दो अलग-अलग सूचना साइलो मौजूद हैं, इसलिए उसे 44,434 सूचना सेटों को डिकोड, संकलित और तुलना करना होगा।
एसबीआई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई तीन सप्ताह की समयसीमा पूरी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं होगी।
एसबीआई को ही इलेक्टोरल बॉन्ड को जारी करने के लिए अधिकृत किया गया था। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया और इसकी पूरी जानकारी सार्वजनिक करने के लिए कहा है।
15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ द्वारा दिए गए फै़सले के अनुसार, एसबीआई को 6 मार्च तक चुनाव आयोग को जानकारी देनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने आदेश में कहा था कि जारीकर्ता बैंक चुनावी बॉन्ड जारी करना बंद कर दे। भारतीय स्टेट बैंक 12 अप्रैल, 2019 के न्यायालय के अंतरिम आदेश के बाद से आज तक खरीदे गए चुनावी बॉन्ड की जानकारी चुनाव आयोग को दे। इसमें प्रत्येक चुनावी बॉन्ड की खरीद की तारीख, बॉन्ड के खरीदार का नाम और खरीदे गए चुनावी बॉन्ड का मूल्य शामिल हो। एसबीआई को यह जानकारी तीन सप्ताह के भीतर यानी 6 मार्च तक चुनाव आयोग को सौंपनी होगी। ईसीआई 13 मार्च 2024 तक एसबीआई से प्राप्त जानकारी को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा।
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