राष्ट्रपति चुनाव के लिए तारीखों का एलान हो गया है। 18 जुलाई को मतदान होगा और जरूरी हुआ तो 21 जुलाई को मतगणना की जाएगी। निर्वाचन आयोग ने गुरूवार को इसका एलान किया। राष्ट्रपति चुनाव के लिए अधिसूचना 15 जून को जारी होगी, नामांकन की अंतिम तारीख 29 जून है जबकि 2 जुलाई तक नाम वापस लिए जा सकेंगे। निर्वाचन आयोग ने कहा कि नए राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण समारोह 25 जुलाई को होगा।
कैसे होता है चुनाव?
भारत के राष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों और सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विधायकों के द्वारा किया जाता है। हर सांसद के वोट की वैल्यू 700 है जबकि विधायकों के वोटों की वैल्यू हर राज्य में अलग-अलग होती है। निर्वाचन आयोग ने बताया कि राष्ट्रपति के चुनाव में 776 सांसद और 4033 विधायक मतदान करेंगे। इस तरह इस चुनाव में कुल 4,809 मतदाता हैं। आयोग ने बताया कि सांसदों के वोट की कुल वैल्यू 5,43,200 है जबकि विधायकों के वोट की वैल्यू 5,43,231 है और यह कुल मिलाकर 10,86,431 होती है।
उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में हर विधायक के वोट की वैल्यू 208 है। क्योंकि उत्तर प्रदेश में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने 273 सीटों पर जीत हासिल की है और कई राज्यों में बीजेपी की सरकार है इसलिए एनडीए के पास इस मामले में बढ़त है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा के वोटों की कुल वैल्यू 83,824, पंजाब की 13,572, उत्तराखंड की 4480, गोवा की 800 और मणिपुर की 1080 है।
किसे उम्मीदवार बनाएगा एनडीए?
देखना होगा कि क्या एनडीए रामनाथ कोविंद को फिर से राष्ट्रपति के पद के लिए उम्मीदवार बनाएगा। बीजेपी एनडीए के उम्मीदवार को लेकर अपने सहयोगी दलों के साथ भी विचार विमर्श कर आम सहमति बनाने के काम में जुटी है।
इसके अलावा वह विपक्षी दलों जैसे जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस और नवीन पटनायक की बीजेडी के साथ भी बातचीत कर रही है। इसके लिए पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेताओं को मोर्चे पर लगाया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव नवीन पटनायक जबकि पार्टी के प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव जगन मोहन रेड्डी के साथ बातचीत कर रहे हैं।
नीतीश क्या करेंगे?
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार क्या एनडीए के उम्मीदवार का साथ देंगे? यह सवाल इसलिए उठा है क्योंकि नीतीश इन दिनों बिहार में विपक्षी दल आरजेडी के साथ दोस्ती बढ़ा रहे हैं। नीतीश ने इससे पहले भी एनडीए में रहते हुए ही उसके राष्ट्रपति के उम्मीदवार का समर्थन नहीं किया था। कुछ दिन पहले केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नीतीश कुमार से मुलाकात कर उनसे राष्ट्रपति चुनाव के बारे में चर्चा की थी।
केसीआर भी सक्रिय
दूसरी ओर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव यानी केसीआर भी एक बार फिर सक्रिय हुए हैं। केसीआर ने बीते दिनों कई विपक्षी नेताओं से मुलाकात की और इस दौरान 2024 के चुनाव के साथ ही राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर भी चर्चा होने की बात सामने आई थी।
देखने वाली बात यही है कि विपक्ष एकजुट होकर उम्मीदवार उतारेगा या वह बिखरा हुआ नजर आएगा। यदि विपक्ष एकजुट नहीं हुआ तो एनडीए के उम्मीदवार की जीत आसान हो जाएगी।
कांग्रेस कमजोर, बीजेपी मजबूत
पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस की हालत बेहद पतली रही है इसलिए राष्ट्रपति के चुनाव में वह यूपीए के किसी उम्मीदवार को मजबूती से खड़ा नहीं कर पाएगी। जबकि टीएमसी, डीएमके, शिवसेना, टीआरएस विपक्षी उम्मीदवार खड़ा करने में अहम रोल निभाएंगे।
जबकि दूसरी ओर बीजेपी को हाल ही में 4 राज्यों में बड़ी चुनावी जीत मिली है। कई राज्यों में उसकी अपने दम पर सरकार है और कई जगह वह सहयोगियों के साथ मिलकर सरकार चला रही है। ऐसे में राष्ट्रपति के चुनाव में निश्चित रूप से बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए का पलड़ा भारी है।
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