पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद अब अगले राष्ट्रपति के चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं। राष्ट्रपति का चुनाव इस साल जुलाई में होना है और उससे पहले इस महीने कई राज्यों में राज्यसभा की सीटों के लिए भी चुनाव होने जा रहे हैं। बीजेपी को चार चुनावी राज्यों में जो सफलता मिली है, उससे उसके लिए चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनाना आसान हो जाएगा।
भारत के राष्ट्रपति का चुनाव 776 सांसदों (543 लोकसभा और 243 राज्यसभा) और 4120 विधायकों के द्वारा किया जाता है। इन विधायकों और सांसदों के वोटों की कुल वैल्यू 10,98,903 होती है और इसमें से बीजेपी के पास आधे से ज्यादा वोट वैल्यू है। हर सांसद के वोट की वैल्यू 708 है जबकि विधायकों के वोटों की वैल्यू हर राज्य में अलग-अलग होती है।
उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में हर विधायक के वोट की वैल्यू 208 है। क्योंकि उत्तर प्रदेश में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने 273 सीटों पर जीत हासिल की है और कई राज्यों में बीजेपी की सरकार है इसलिए एनडीए के पास इस मामले में बढ़त है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा के वोटों की कुल वैल्यू 83,824, पंजाब की 13,572, उत्तराखंड की 4480, गोवा की 800 और मणिपुर की 1080 है।
कोविंद फिर बनेंगे राष्ट्रपति?
देखना होगा कि क्या एनडीए रामनाथ कोविंद को फिर से राष्ट्रपति के पद के लिए उम्मीदवार बनाएगा। बीजेपी इसे लेकर अपने सहयोगी दलों के साथ भी विचार विमर्श कर एक आम सहमति बनाने की कोशिश करेगी। इसके अलावा वह विपक्षी दलों जैसे वाईएसआर कांग्रेस और नवीन पटनायक की बीजेडी के साथ भी बातचीत करेगी।
क्या करेगा विपक्ष?
दूसरी ओर, देखना होगा कि क्या विपक्षी दल राष्ट्रपति चुनाव में कोई संयुक्त उम्मीदवार उतारते हैं या वह कोई दूसरा रुख अपनाते हैं। क्योंकि पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस की हालत बेहद पतली रही है इसलिए राष्ट्रपति के चुनाव में वह अपने किसी उम्मीदवार को मजबूती से खड़ा नहीं कर पाएगी। जबकि विपक्षी दलों में टीएमसी, डीएमके, शिवसेना, टीआरएस विपक्षी उम्मीदवार खड़ा करने में अहम रोल निभाएंगे।
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