नागरिकता संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंज़ूरी दे दी है। इसके साथ ही यह क़ानून बन गया है। उत्तर-पूर्वी राज्यों में भारी विरोध के बीच इस विधेयक को इसी हफ़्ते लोकसभा और राज्यसभा ने पास किया था और मंज़ूरी के लिए इसे राष्ट्रपति के पास भेजा गया था। गुरुवार रात को ही आधिकारिक तौर पर राष्ट्रपति की मंज़ूरी की अधिसूचना जारी कर दी गई।
राष्ट्रपति की मंज़ूरी के बाद नागरिकता संशोधन विधेयक बना क़ानून
- देश
- |
- |
- 13 Dec, 2019
नागरिकता संशोधन विधेयक को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंज़ूरी दे दी है। इसके साथ ही यह क़ानून बन गया है।

अब इसके क़ानून बनते ही 31 दिसंबर 2014 तक पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बाँग्लादेश से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध नहीं माना जाएगा। उन्हें इस देश की नागरिकता दी जाएगी। इन देशों से आने वाले इन समुदाय के लोगों को पाँच साल भारत में रहने पर देश की नागरिकता के योग्य माना जाएगा। हालाँकि, इस क़ानून में मुसलिमों के लिए यह प्रावधान नहीं है। पहले किसी भी समुदाय के लोगों को 11 साल देश में रहने पर नागरिकता दी जाती थी।