सुप्रीम कोर्ट की ओर से 1 रुपये का जुर्माना लगाए जाने के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने प्रेस कॉन्फ़्रेन्स कर कहा है कि अदालत का फ़ैसला उन्हें स्वीकार है। सीनियर एडवोकेट भूषण ने कहा, ‘मैंने जो कहा है, सुप्रीम कोर्ट ने तो इसे अवमानना कहा है लेकिन मुझे लगता है कि यह हर नागरिक का सबसे अहम कर्तव्य है। जहां ग़लत हो रहा है, उसके ख़िलाफ आवाज़ उठानी चाहिए।’
जस्टिस अरुण कुमार मिश्रा, जस्टिस बी.आर.गवई और जस्टिस कृष्णा मुरारी की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने सोमवार को दिए अपने आदेश में कहा है कि अगर प्रशांत भूषण ने ये जुर्माना 15 सितंबर तक नहीं भरा तो उन्हें तीन महीने की जेल होगी और वे तीन साल तक वकालत नहीं कर पायेंगे। भूषण को आपराधिक अवमानना के मामले में दोषी ठहराया गया था और आज ही उन्हें यह सजा सुनाई गई है।
प्रशांत भूषण ने कहा, ‘मैं यह फ़ाइन दे दूंगा। लेकिन जो मेरा अधिकार है, इसके ख़िलाफ़ चाहे रिव्यू फ़ाइल करने का चाहे रिट फ़ाइल करने का, अवमानना के फ़ैसले का या सजा के फ़ैसले को चुनौती देने का, वो मैं करूंगा।’ उन्होंने कहा, ‘अगर और भी कोई सजा दी गई होती तो वो भी मुझे मान्य होती क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला सभी को मान्य होता है।’
ज़मीनी सामाजिक कार्यकर्ता की छवि रखने वाले प्रशांत भूषण ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाया नहीं जा सकता है। भूषण ने कहा, ‘मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि सुप्रीम कोर्ट कमजोरों और शोषितों के लिए उम्मीद की आख़िरी किरण है और मेरा इरादा कभी भी न्यायपालिका को अपमानित करने का नहीं था लेकिन अदालत के अपने रिकॉर्ड से भटक जाने के कारण मैं अपनी पीड़ा को व्यक्त करना चाहता था।’
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भूषण ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट को जीतना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट अगर मजबूत होता है, स्वतंत्र होता है तो देश का हर नागरिक जीतता है, ये देश जीतता है लेकिन अगर सुप्रीम कोर्ट कमजोर होता है तो यह हर नागरिक की हार है।’ उन्होंने इस दौरान उनका साथ देने वाले पूर्व जजों, वकीलों, सामाजिक कार्यकर्ताओं का शुक्रिया अदा किया।
भूषण ने कहा कि उन्होंने जब से वकालत की प्रैक्टिस शुरू की है, तभी से वह सुप्रीम कोर्ट के प्रति गहरा आदर रखते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “प्रशांत भूषण का बयान न्याय करने की प्रणाली पर हस्तक्षेप है, हमने प्रशांत भूषण की सजा पर विचार करते हुए अटार्नी जनरल के बयान को ध्यान में रखा था कि उन पर कोई फ़ैसला करते समय उनके आचरण को देखा जाए।’’
दोषी करार दिए जाने के बाद अटार्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि प्रशांत भूषण की वकालत के रिकॉर्ड को देखते हुए उन्हें सजा न दी जाए जबकि प्रशांत भूषण के वकील राजीव धवन ने चार जजों का हवाला देते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली को लेकर सुप्रीम कोर्ट के खुद के चार जज सवाल उठा चुके हैं।
माफ़ी माँगने से किया था इनकार
प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफ़ी माँगने से इनकार कर दिया था। कोर्ट में दाखिल अपने हलफ़नामे में प्रशांत भूषण ने कहा था कि उनके बयान सद्भावनापूर्ण थे और अगर वह माफ़ी माँगेंगे तो यह उनकी अंतरात्मा और उस संस्थान की अवमानना होगी जिसमें वो सर्वोच्च विश्वास रखते हैं।
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