देश भर में नागरिकता क़ानून यानी सीएए के ख़िलाफ़ चल रहे प्रदर्शन के बीच पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने एक कार्यक्रम में तानाशाही, असहमति, शांतिपूर्ण प्रदर्शन और लोकतंत्र जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया। हालाँकि उन्होंने न तो नागरिकता क़ानून और न ही राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी या राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर यानी एनपीआर का ज़िक्र किया। लेकिन उन्होंने लोकतंत्र में असहमति यानी विरोध का महत्व बताने के क्रम में कहा कि देश भर में शांतिपूर्ण प्रदर्शन लोकतंत्र को तरोताज़ा कर देंगे।