हर कट्टर व्‍यक्ति का अपना एक जनाधार और आक्रामक फैन फ़ॉलोइंग होती है। जेयर एम. बोलसोनारो की भी है। पर हमने उन्‍हें न्‍यौता देते वक्‍़त क्‍या अपने संवैधानिक मूल्‍यों का ध्‍यान रखा है? 26 जनवरी संविधान के उत्‍सव का अवसर है। इस उत्‍सव का ख़ास मेहमान वह नेता कैसे हो सकता है, जो ख़ुद गणतंत्र की बजाए ‘गन तंत्र’ का समर्थन करता हो?