हेमंत सोरेन
जेएमएम - बरहेट
आगे
हेमंत सोरेन
जेएमएम - बरहेट
आगे
पूर्णिमा दास
बीजेपी - जमशेदपुर पूर्व
आगे
केंद्रीय बजट 2024-25 में वित्त मंत्रालय द्वारा किए गए अनुमान के अनुसार, राजनीतिक दलों को दान के कारण कॉर्पोरेट्स, फर्मों और व्यक्तियों द्वारा प्राप्त टैक्स कटौती का राजस्व प्रभाव वित्त वर्ष 2022-23 में अनुमानित 3,967.54 करोड़ रुपये था। यानी लोगों, कॉरपोरेट्स, फर्मों आदि ने राजनीतिक दलों को चंदा देकर 2022-23 में 3967.54 करोड़ का टैक्स बचाया। लेकिन सरकार के खजाने को इससे तो नुकसान हुआ। बड़ा सवाल यही है कि राजनीतिक दलों को ऐसे दान पर छूट क्यों मिलना चाहिए। आम जनता टैक्स भरती है और राजनीतिक दल चंदा वसूल कर बड़े लोगों को टैक्स बचवाते हैं।
पिछले केंद्रीय बजट विश्लेषण के अनुसार, यह आंकड़ा 2021-22 की तुलना में 13% अधिक है और चुनावी फंडिंग में और बढ़ोतरी को दर्शाता है, जिसमें पिछले नौ वर्षों के दौरान तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है। यानी जब से भाजपा केंद्र की सत्ता में आई है, राजनीतिक चंदा बढ़ा है और उससे सरकार के खजाने को राजस्व का नुकसान भी हो रहा है।
“
कुल मिलाकर, 2014-15 के बाद से नौ वर्षों में राजनीतिक डोनेशन पर प्राप्त टैक्स रियायतों का कुल राजस्व प्रभाव अनुमानित 12,270.19 करोड़ रुपये है। सरकार ने अभी वित्त वर्ष 2023-24 का डेटा सार्वजनिक नहीं किया है। अगर राजनीतिक दलों को चंदे पर छूट नहीं मिली होती तो सरकार को अपने खजाने में 12,270.19 करोड़ रुपये मिले होते। उधर, आम जनता जीएसटी के अलावा तमाम और भी टैक्स भरती है। वेतनभोगी आयकर से अपनी आमदनी छिपा ही नहीं पाते और उन्हें टैक्स देना होता है।
आयकर अधिनियम, 1961 के तहत, भारतीय कंपनियों, फर्मों, व्यक्तियों, उनके संगठनों, उनकी कंपनियों, हिंदू अविभाजित परिवारों (एचयूएफ) सहित तमाम करदाताओं को राजनीतिक चंदा देने पर टैक्स छूट का दावा करने की अनुमति है। राजनीतिक दलों को यह चंदा चेक, खाते में सीधे ट्रांसफर या चुनावी बांड के माध्यम से दिया गया है।
“
2022-23 में, 3,967.54 करोड़ रुपये के अनुमानित राजस्व में से, सबसे अधिक - 2,003.43 करोड़ रुपये का लाभ धारा 80GGB के तहत कॉर्पोरेट करदाताओं ने प्राप्त किया था। इलेक्ट्रोरल बॉन्ड का मामला जब सामने आया था तो पता चला था कि राजनीतिक चंदे का सबसे ज्यादा लाभ भाजपा ने उठाया है। बाकी राजनीतिक दलों को वो लाभ ऊंट के मुंह में जीरे की तरह है। देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस को बंगाल की क्षेत्रीय पार्टी टीएमसी से कम चंदा मिला था। कांग्रेस पार्टी कई दशक तक केंद्र की सत्ता में रहीं लेकिन उसे कभी राजनीतिक चंदा इतना नहीं मिला, जितना भाजपा ने पिछले एक दशक में हासिल किया है।
आयकर अधिनियम की धारा 80GGB में कहा गया है कि "एक भारतीय कंपनी होने के नाते, कुल आय की गणना करने में, पिछले वर्ष में किसी भी राजनीतिक दल या चुनावी ट्रस्ट को योगदान की गई किसी भी राशि में कटौती की जाएगी। लेकिन अगर पैसा कैश में दिया गया हो तो किसी तरह की कटौती की अनुमति नहीं है। यह नियम आम लोगों पर भी लागू है यानी अगर वे किसी पार्टी को कैश में चंदा देते हैं तो टैक्स छूट का लाभ नहीं ले सकते।
धारा 80जीजीबी और 80जीजीसी के प्रयोजन के लिए, अधिनियम "राजनीतिक दल" शब्द को "जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकृत एक राजनीतिक दल" के रूप में परिभाषित करता है।
धारा 80जीजीसी के तहत, राजनीतिक दान के लिए व्यक्तियों द्वारा दावा की गई टैक्स रियायतें 1,862.38 करोड़ रुपये थीं और गैर-कॉर्पोरेट करदाताओं (फर्म/एओपी/बीओआई) द्वारा 101.73 करोड़ रुपये थीं।
About Us । Mission Statement । Board of Directors । Editorial Board | Satya Hindi Editorial Standards
Grievance Redressal । Terms of use । Privacy Policy
अपनी राय बतायें