भाषा विवाद पर अब तक केंद्र और राज्य आमने-सामने थे, लेकिन अब दो राज्यों के मुख्यमंत्री आमने-सामने आ गए हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में तीन भाषा फॉर्मूले को लेकर चल रहे विवाद पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उलझ गए हैं।
योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में एक साक्षात्कार में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम सरकार पर क्षेत्रीय और भाषाई विभाजन को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था। इसके जवाब में स्टालिन ने योगी के बयानों पर कहा कि राजनीतिक ब्लैक कॉमेडी अपने चरम पर है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु किसी भी भाषा का विरोध नहीं करता, बल्कि इसको थोपने और भाषाई अहंकार के ख़िलाफ़ खड़ा है।
Tamil Nadu’s fair and firm voice on #TwoLanguagePolicy and #FairDelimitation is echoing nationwide—and the BJP is clearly rattled. Just watch their leaders’ interviews.
— M.K.Stalin (@mkstalin) March 27, 2025
And now Hon’ble Yogi Adityanath wants to lecture us on hate? Spare us. This isn’t irony—it’s political black… https://t.co/NzWD7ja4M8
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया में स्टालिन ने योगी के बयानों को निशाना बनाया। उन्होंने लिखा, 'तमिलनाडु की दो-भाषा नीति और निष्पक्ष परिसीमन पर हमारी मज़बूत आवाज़ पूरे देश में गूंज रही है, और बीजेपी साफ़ तौर पर इससे परेशान है। अब योगी आदित्यनाथ हमें नफ़रत पर लेक्चर देना चाहते हैं? हमें बख्श दें। यह विडंबना नहीं, बल्कि राजनीतिक ब्लैक कॉमेडी अपने चरम पर है।' स्टालिन ने यह भी साफ़ किया कि उनका राज्य किसी भाषा के ख़िलाफ़ नहीं है, बल्कि थोपने और एकतरफ़ा नीतियों का विरोध करता है।
यह टकराव न केवल दो राज्यों के बीच वैचारिक मतभेद को उजागर करता है, बल्कि भारत में भाषा और क्षेत्रीय पहचान के संवेदनशील मुद्दे पर एक गहरी बहस को भी छेड़ता है।
यह टकराव केवल भाषा नीति तक सीमित नहीं है, इसके पीछे गहरे राजनीतिक निहितार्थ हैं। डीएमके और बीजेपी के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंध हैं, और यह विवाद दोनों दलों के बीच की खाई को और चौड़ा कर रहा है।
तमिलनाडु में डीएमके अपनी क्षेत्रीय पहचान और तमिल संस्कृति की रक्षा के लिए जानी जाती है, जबकि बीजेपी राष्ट्रीय एकता और हिंदी को बढ़ावा देने की वकालत करती है। स्टालिन का ब्लैक कॉमेडी वाला बयान न केवल योगी पर व्यक्तिगत हमला है, बल्कि बीजेपी की केंद्रीकृत नीतियों पर भी एक तीखा कटाक्ष है।
इस विवाद ने सोशल मीडिया पर भी हलचल मचा दी है। जहां कुछ लोग स्टालिन के बयान को तमिल अस्मिता से जोड़कर देख रहे हैं, वहीं बीजेपी समर्थक इसे क्षेत्रीयता को बढ़ावा देने वाला क़दम बता रहे हैं। तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के अन्नामलाई ने स्टालिन पर पलटवार करते हुए कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्टालिन छोटे-मोटे मुद्दों पर लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी कोशिशें बेनकाब हो चुकी हैं।'
Thiru @mkstalin, you are a con artist masquerading as a protector of our constitution & our federal structure. Usually, con artists scam the rich, but DMK shows no disparity; they scam both the rich and the poor.
— K.Annamalai (@annamalai_k) March 27, 2025
The whole country now knows that the Chief Minister of Tamil… https://t.co/sEMKtxHT2J
केंद्र और तमिलनाडु के बीच एक और बड़ा टकराव परिसीमन को लेकर है। यह परिसीमन 2026 के बाद होने वाला है। स्टालिन ने चेतावनी दी है कि इस अभ्यास से संसद में दक्षिणी राज्यों का प्रतिनिधित्व अनुचित रूप से कम हो सकता है, जबकि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे उत्तरी राज्यों को उनकी अधिक जनसंख्या के कारण लाभ होगा। उन्होंने तर्क दिया कि जनसंख्या नियंत्रित करने वाले तमिलनाडु जैसे राज्यों का राजनीतिक प्रभाव कम हो सकता है।
बहरहाल, यह विवाद भारत में भाषाई विविधता और संघीय ढांचे के बीच संतुलन की जटिलता को दिखाता है। तमिलनाडु का दो-भाषा नीति पर अडिग रुख और बीजेपी का तीन भाषा फॉर्मूले पर जोर दोनों पक्षों की अपनी-अपनी प्राथमिकताओं को दिखाता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह टकराव केवल राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित रहेगा, या इसका असर केंद्र-राज्य संबंधों पर भी पड़ेगा?
एमके स्टालिन का 'राजनीतिक ब्लैक कॉमेडी' वाला बयान योगी आदित्यनाथ के लिए एक तीखा जवाब तो है ही, साथ ही यह तमिलनाडु की भाषाई और सांस्कृतिक स्वायत्तता की लड़ाई का प्रतीक भी है। यह विवाद न केवल दो नेताओं के बीच की तनातनी को दिखाता है, बल्कि भारत जैसे बहुभाषी देश में नीति बनाने की चुनौतियों को भी उजागर करता है।
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