लीजिए, अब सीधे प्रधानमंत्री मोदी तक ने आरोप लगा दिया कि न्यायपालिका को डराने और धमकाने की कोशिश की जा रही है। शुरुआत हुई 600 वकीलों द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश को ख़त लिखे जाने से। उसी ख़त को पीएम ने साझा करते हुए आरोप लगा दिया कि 'डराना, धमकाना कांग्रेस पार्टी की पुरानी संस्कृति है'। इस पर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा है कि न्यायपालिका को बचाने के नाम पर वह खुद न्यायपालिका पर हमले की साज़िश कर रहे हैं।
सीजेआई को वकीलों द्वारा ख़त लिखे जाने की ख़बर को साझा करते हुए पीएम मोदी ने लिखा, "दूसरों को डराना-धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति है। 5 दशक पहले ही उन्होंने 'प्रतिबद्ध न्यायपालिका' का आह्वान किया था - वे बेशर्मी से अपने स्वार्थों के लिए दूसरों से प्रतिबद्धता चाहते हैं लेकिन राष्ट्र के प्रति किसी भी प्रतिबद्धता से बचते हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि 140 करोड़ भारतीय उन्हें खारिज कर रहे हैं।"
To browbeat and bully others is vintage Congress culture.
— Narendra Modi (@narendramodi) March 28, 2024
5 decades ago itself they had called for a "committed judiciary" - they shamelessly want commitment from others for their selfish interests but desist from any commitment towards the nation.
No wonder 140 crore Indians… https://t.co/dgLjuYONHH
पीएम मोदी ने जिस ख़त को लेकर यह ट्वीट किया है उसे देश के 600 से ज़्यादा वकीलों ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को लिखा है। पत्र लिखने वालों में पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे समेत कई वरिष्ठ वकील शामिल हैं। ये हरीश साल्वे वही हैं जिन्हें सरकार का पसंदीदा माना जाता है और जिनका नाम पनामा पेपर्स और पैंडोरा पेपर्स में भी आया था। 26 मार्च को ही लिखे इस पत्र में वकीलों ने सीजेआई से कहा है कि 'न्यायपालिका ख़तरे में है और एक समूह न्यायपालिका पर दबाव बना रहा है। न्यायपालिका को राजनैतिक और व्यवसायिक दबाव से बचाना होगा।'
इस ख़त को हरीश साल्वे, मनन कुमार मिश्रा, आदिश अग्रवाल, चेतन मित्तल, पिंकी आनंद, हितेश जैन, उज्ज्वला पवार, उदय होल्ला, स्वरूपमा चतुर्वेदी सहित 600 से अधिक वकीलों ने लिखा है। इस पत्र में वकीलों ने सीजेआई को संबोधित करते हुए लिखा है कि, 'हम आपको पत्र लिखकर उस तरीके पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त कर रहे हैं जिस तरह से एक निहित स्वार्थ समूह अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए न्यायपालिका पर दबाव डालने, न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने और तुच्छ और अनर्गल तर्क के आधार पर हमारी अदालतों को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है।'
The PM's brazenness in orchestrating and coordinating an attack on the judiciary, in the name of defending the judiciary, is the height of hypocrisy!
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) March 28, 2024
The Supreme Court has delivered body blows to him in recent weeks. The Electoral Bonds Scheme is but one example. The Supreme… https://t.co/R00ZRdWa7S
उन्होंने कहा, 'हाल के सप्ताहों में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कई झटके दिए हैं। चुनावी बॉन्ड योजना तो इसका एक उदाहरण है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें असंवैधानिक घोषित कर दिया - और अब यह बिना किसी संदेह के साबित हो गया है कि वे कंपनियों को भाजपा को चंदा देने के लिए मजबूर करने के लिए भय, ब्लैकमेल और धमकी का एक ज़बरदस्त साधन थे। प्रधानमंत्री ने एमएसपी को कानूनी गारंटी देने के बजाय भ्रष्टाचार को कानूनी गारंटी दी है।'
उन्होंने कहा, 'पिछले दस वर्षों में प्रधानमंत्री ने जो कुछ भी किया है वह विभाजन करना, विकृत करना, ध्यान भटकाना और बदनाम करना है। 140 करोड़ भारतीय उन्हें जल्द ही करारा जवाब देने का इंतजार कर रहे हैं।'
जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने भी वकीलों द्वारा लिखे गए ख़त और पीएम मोदी द्वारा किए गए ट्वीट पर आश्चर्य जताया। उन्होंने लिखा, 'सरकार के पसंदीदा वकील साल्वे ने चुनावी बॉन्ड की रिश्वतखोरी और जबरन वसूली की जानकारी को उजागर होने से रोकने की बहुत कोशिश की। टैक्स हेवेन में उनके खातों का खुलासा पनामा और पेंडोरा पेपर्स से हुआ था। अब वह 600 गुमनाम वकीलों के एक समूह का नेतृत्व कर रहे हैं जो सीजेआई को सख्त आदेशों से पीछे हटने के लिए प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। इनमें से कितने बॉन्ड देने वाले साल्वे के ग्राहक हैं? आश्चर्य की बात है कि मोदी इस पत्र के समर्थन में ट्वीट कर रहे हैं!'
Governments favourite lawyer Salve tried very hard to stop the exposé of bribery and extortion details of Electoral Bonds. His accounts in tax havens were exposed by the Panama and Pandora papers. He now leads a pack of 600 nondescript lawyers trying to influence the CJI to back… https://t.co/ZjRTomprba
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) March 28, 2024
बता दें कि गुरुवार को दिन में 600 वकीलों द्वारा लिखे गए ख़त में बिना नाम लिए वकीलों के एक समूह पर निशाना साधा गया और आरोप लगाया गया कि वे दिन में राजनेताओं का बचाव करते हैं और फिर रात में मीडिया के माध्यम से न्यायाधीशों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं।
पत्र में कहा गया है, 'उनकी हरकतें विश्वास और सद्भाव के माहौल को खराब कर रही हैं, जो न्यायपालिका के कामकाज की विशेषता है। उनकी दबाव की रणनीति राजनीतिक मामलों में सबसे साफ़ दिखती है, विशेष रूप से भ्रष्टाचार के आरोपी राजनीतिक हस्तियों से जुड़े मामलों में। ये रणनीति हमारी अदालतों के लिए हानिकारक हैं और हमारे लोकतांत्रिक ताने-बाने को ख़तरे में डालती हैं।'
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