ट्रेन कोई भी हो हावड़ा जंक्शन के प्लेटफार्म पर भीड़ कभी कम नहीं होती। 26 नवंबर 1933 की दोपहर जब अमरेंद्र पांडेय पाकुड़ के लिए ट्रेन पकड़ने पहुँचा तो उसे उसका सौतेला भाई बिनोयेंद्र चंद्र पांडेय भी वहीं टहलता नज़र आया।

एक ऐसा अनूठा मामला, जिसमें प्लेग के वायरस का इस्तेमाल कर कोलकाता में हत्या की गई थी।
यह बात अजीब इसलिए थी कि एक दिन पहले जब अमरेंद्र कोलकाता के एक थियेटर में किसी से मिलने गया था तो वहाँ भी बिनोयेंद्र नजर आया था। पाकुड़ के जमींदार उनके पिता गुजर चुके थे और दोनों भाई उनकी संपत्ति के वारिस थे। संपत्ति में अपना हिस्सा पाने के लिए अमरेंद्र अदालत का दरवाजा भी खटखटा चुका था।