जब हम वैक्सीन की खोज की बात करते हैं तो उसका श्रेय इंग्लैंड के एडवर्ड जेनर को दिया जाता है। दूसरी तरफ यह भी कहा जाता है कि जेनर ने एक परंपरागत ज्ञान को आधुनिक मेडिकल प्रैक्टिस में बदला और दुनिया को चेचक की महामारी से मुक्ति का रास्ता दिखाया। इसी योगदान के लिए उन्हें फाॅदर ऑफ़ इम्युनोलाॅजी कहा जाता है।

काउ पाॅक्स चेचक की तरह खतरनाक रोग नहीं है। इसमें शरीर में चकत्ते बन जाते हैं, खुजली होती है और थोड़ा सा बुखार आता है, फिर सब ठीक हो जाता है। एडवर्ड जेनर ने सोचा कि अगर ऐसे लोगों के रक्त का सीरम स्वस्थ लोगों को इंजेक्ट कर दिया जाए तो वे भी चेचक से बच सकेंगे। तो यह थी दुनिया की पहली वैक्सीन यानी महामारी से बचने का पहला आश्वासन।
18वीं सदी के अंत में जिन दिनों चेचक की महामारी पूरी दुनिया को परेशान कर रही थी, जेनर को यह पता चला कि जिन लोगों को एक बार काॅउ पॉक्स की बीमारी हो जाती है, फिर उन्हें चेचक की बीमारी नहीं होती। काॅउ पॉक्स मूल रूप से गाय के थनों में होने वाली बीमारी है जो अक्सर उन्हें दुहने वालों को भी हो जाती थी।