पीएफआई (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) फिर सुर्खियों में है। कर्नाटक में एक मुस्लिम पेंटर की हत्या के बाद भारतीय जनता युवा मोर्चा के नेता प्रवीण की बेरहमी से हत्या कर दी गई। इसमें पीएफआई का नाम आया। राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी एनआईए इस समय बिहार में पीएफआई के सिलसिले में छापे मार रही है। इसी बीच बीबीसी ने पीएफआई के महासचिव अनीस अहमद का इंटरव्यू लिया है। उस इंटरव्यू में पीएफआई महासचिव ने काफी बातें कहीं और पीएफआई को लेकर कई धारणाओं को साफ करने की कोशिश की है।
गजवा-ए-हिन्द और हिन्दुओं की कथित हत्याओं के बारे में पीएफआई महासचिव अनीस ने कहा कि न तो गजवा ए हिन्द का हमारा कोई सपना है और न ही हम भारत को इस्लामी देश बनाना चाहते हैं। न ही हिन्दुओं की हत्या हमारे एजेंडे का हिस्सा है। बीबीसी के मुताबिर उन्होंने कहा कि इंडिया 1947 एम्पावरिंग पीपुल हमारा एक ड्राफ्ट जरूर है, जिसे एम्पावर इंडिया फाउंडेशन ने तैयार किया था। इसे भारत की आजादी की 50वीं वर्षगांठ पर मशहूर जज राजिंदर सच्चर ने दिल्ली में रिलीज किया था।
यह पूछे जाने पर कि सरकारी एजेंसियां और मीडिया उन्हें आतंकवादी संगठन क्यों कहता और लिखता है, इसके जवाब में पीएफआई महासचिव अनीस अहमद ने कहा कि हम सरकार की मुस्लिम विरोधी नीतियों की आलोचना करते हैं। मुसलमान अपने संवैधानिक अधिकार इस देश में मांग सकें, इसके लिए हम उन्हें ताकत दे रहे हैं, जागरूक कर रहे हैं तो पूरी कोशिश की जा रही है कि हमें आतंकी और आपराधिक संगठन बना दिया जाए।
पीएफआई महासचिव अनीस अहमद ने कहा कि अजमेर में दरगाह पर धमाका हुआ था, जिसमें आरएसएस के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार के खिलाफ जांच हुई थी। चार्जशीट में भी नाम था। मालेगांव मामले में भी जांच हुई थी, ऐसी संस्थाओं और व्यक्तियों को तो आतंकवादी नहीं बुलाया जा रहा है। लेकिन किसी स्थानीय आपराधिक गतिविधि में पीएफआई से जुड़े व्यक्ति का नाम आने पर उसे आतंकवादी संगठन बुलाया जा रहा है। ये ठीक नहीं है। अनीस अहमद ने कहा-
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केरल में 240 वामपंथी कार्यकर्ताओं की हत्या में आरएसएस के लोगों के नाम हैं। इसी तरह आरएसएस-बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या में सीपीएम के लोगों का हाथ है, लेकिन उन संस्थाओं को तो आपराधिक नहीं बुलाया जाता है। लेकिन अगर पीएफआई का किसी लोकल मामले में नाम आ गया तो पूरा पीएफआई आपराधिक संगठन हो जाता है।
-अनीस अहमद, पीएफआई महासचिव, बीबीसी इंटरव्यू में
लव जिहाद को लेकर हादिया केस के बारे में भी पीएफआई सचिव बोले। बता दें कि एक हिन्दू महिला ने धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम युवक से निकाह कर लिया था। महिला के परिवार ने भी आरोप लगाए। मामला अदालत तक पहुंचा। अदालत ने महिला का बयान लिया। उसने कहा कि उसने बिना किसी दबाव, प्रलोभन के मुस्लिम युवक से शादी की थी, क्योंकि वो उससे प्यार करती है। अदालत ने महिला के पक्ष में फैसला सुनाया। अदालत ने जबरन धर्म परिवर्तन का आरोप भी खारिज कर दिया था। यह केस हादिया केस के नाम से मशहूर है। पीएफआई महासचिव ने कहा कि हमने हादिया का केस लड़ा था।
यह पूछे जाने कि क्या वो हिन्दू महिला को अपनी पसंद से शादी करने और मुस्लिम महिला को हिन्दू युवक से शादी करने पर विरोध करेंगे, पीएफआई महासचिव अनीस अहमद ने कहा कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता संवैधानिक अधिकार है। भारत के हर नागरिक को अपनी पसंद से शादी करने, किसी भी धर्म को अपनाने और प्रचार करने का कानूनी अधिकार मिला हुआ है। पीएफआई किसी भी नागरिक के संवैधानिक अधिकार का विरोध नहीं करता।
गोवा के रहने वाले अनीस अहमद पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। वो बेंगलुरु में रहते हैं। बीबीसी का कहना है कि जब उसके संवाददाता ने अनीस का इंटरव्यू लिया तो वो किसी मुस्लिम संगठन के पदाधिकारी न लगकर किसी कॉरपोरेट के अधिकारी लग रहे थे। उन्होंने नेहरू जैकेट पहनी हुई थी।
उन्होंने कहा कि हम आक्रामक नहीं है लेकिन हमारा तरीका पुरजोर है। अपने हकों की पुरजार मांग करने वाला मुस्लिम समाज आरएसएस की रणनीति के अनुकूल नहीं है। वो एक दब्बू मुस्लिम समाज चाहते हैं। इसलिए पीएफआई को खत्म करना इस सरकार का टॉप एजेंडा है। एक तरह का टूल किट है कि देश में कहीं कुछ भी हो जाए, उसमें पीएफआई का नाम डाल दो।
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