योग गुरु रामदेव द्वारा स्थापित पतंजलि आर्युवेद को सुप्रीम कोर्ट ने उसके भ्रामक विज्ञापनों को लेकर कड़ी चेतावनी दी है। हर्बल दवाओं का कारोबार करने वाली कंपनी को कई बीमारियों के इलाज के लिए "झूठे विज्ञापन" और "भ्रामक" दावे करके हुए पाया गया है।
पीटीआई की खबर के मुताबिक जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने मंगलवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए मौखिक रूप से कहा, "पतंजलि आयुर्वेद के ऐसे सभी झूठे और भ्रामक विज्ञापनों को तुरंत रोकना होगा। अदालत ऐसे किसी भी उल्लंघन को बहुत गंभीरता से लेगी...।"
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सुप्रीम कोर्ट ने 23 अगस्त, 2022 को टीकाकरण अभियान और आधुनिक दवाओं के खिलाफ रामदेव द्वारा बदनामी का अभियान चलाने का आरोप लगाने वाली आईएमए की याचिका पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आयुष मंत्रालय और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को नोटिस जारी किया था।
मंगलवार को संक्षिप्त सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद से कहा कि वह मेडिकल की आधुनिक प्रणालियों के खिलाफ भ्रामक दावे और विज्ञापन प्रकाशित न करें। यदि यह गलत दावा किया गया कि यह किसी विशेष बीमारी को ठीक कर सकता है तो पीठ हर प्रोडक्ट पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने पर भी विचार कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की ओर से पेश वकील से से कहा कि भ्रामक मेडिकल विज्ञापनों के मुद्दे का समाधान कैसे हो, इस पर विचार किया जाना चाहिए। इन विज्ञापनों में कुछ बीमारियों का सटीक इलाज करने वाली दवाओं के बारे में दावे किए जा रहे हैं। इस मामले में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की सुनवाई बेंच अब अगले साल 5 फरवरी को सुनवाई करेगी।
योग गुरु की कंपनी के खिलाफ पहले भी सुप्रीम कोर्ट टिप्पणी कर चुका है। पूर्व सीजेआई एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने अपने कार्यकाल में सुनवाई के दौरान कहा था- "इन गुरु रामदेव बाबा को क्या हुआ?...आखिरकार हम उनका सम्मान करते हैं क्योंकि उन्होंने योग को लोकप्रिय बनाया। हम सभी उसका फायदा उठाते हैं। लेकिन, उन्हें अन्य मेडिकल सिस्टम की आलोचना नहीं करनी चाहिए। इस बात की क्या गारंटी है कि वह जिस भी सिस्टम का पालन कर रहे हैं वह आयुर्वेद का होगा। आप विज्ञापनों के प्रकार देखिए, जो सभी डॉक्टरों पर आरोप लगाते हैं जैसे कि वे हत्यारे या कुछ और हैं। बड़े पैमाने पर ऐसे विज्ञापन दिए गए हैं।" आईएमए लंबे समय से रामदेव के तमाम प्रोडक्ट्स को चुनौती दे रही है। कई मामले कोर्ट में भी पहुंचे हैं।
आईएमए ने कई विज्ञापनों का हवाला दिया था, जिनमें कथित तौर पर एलोपैथ और डॉक्टरों को गलत तरह से पेश किया गया था। आईएमए ने कहा था कि आम जनता को गुमराह करने के लिए आयुर्वेदिक दवाओं के उत्पादन में लगी कंपनियों ने भी "अपमानजनक" बयान दिए हैं।आईएमए के वकील ने कहा था कि इन विज्ञापनों में कहा गया है कि आधुनिक दवाएं लेने के बावजूद डॉक्टर खुद मर रहे हैं।
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आईएमए ने कहा था- ये विज्ञापन ऐसे समय में छपे जब देश में कोविड 19 के खिलाफ अभियान चल रहा था। ऐसे में उन एलोपैथिक दवाओं और टीकाकरण को हतोत्साहित करने का एक ठोस प्रयास किया जा रहा है।
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