विपक्ष के लिए ‘महामिलावटी गठबंधन’ और ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ जैसे नारों का इस्तेमाल करने वाले प्रधानमंत्री मोदी आज एकाएक सक्रिय विपक्ष की ज़रूरत क्यों बताने लगे? एक सामान्य बात यह है कि संसदीय परंपरा में ऐसी भाषा एक औपचारिकता भी होती है, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में प्रधानमंत्री के इस बयान के कई मायने हो सकते हैं। क्या संसद सत्र में सरकार को विपक्ष की ज़रूरत है इसलिए तो नरेंद्र मोदी के बयान में नरमी नहीं दिख रही है? क्या सरकार को तीन तलाक़ को अवैध ठहराने वाले विधेयक और ऐसे ही दूसरे विधेयकों पर विपक्ष का साथ चाहिए? ये सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं कि लोकसभा में भले ही बीजेपी के पास साफ़ बहुमत है, लेकिन राज्यसभा में वह उससे काफ़ी पीछे है। पूरे एनडीए सहयोगियों को जुटाकर भी उनके पास बहुमत नहीं है। विपक्ष ने बेरोज़गारी, किसानों की समस्या, सूखे और प्रेस की आज़ादी के मुद्दों को उठाने के संकेत दे दिए हैं। यानी दोनों सदनों में हंगामे के आसार हैं। कई विधेयकों को पास कराने के अलावा सरकार की मजबूरी यह भी है कि इस सत्र में बजट पेश करना है और ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ पर चर्चा भी करानी है। ऐसे में सरकार हंगामा तो नहीं ही चाहेगी।
विपक्ष पर आख़िर क्यों नरम दिख रहे हैं नरेंद्र मोदी?
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- 17 Jun, 2019
विपक्ष के लिए ‘महामिलावटी गठबंधन’ और ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ का नारा देने वाले प्रधानमंत्री मोदी आज एकाएक सक्रिय विपक्ष की ज़रूरत क्यों बताने लगे? कहीं सरकार को विपक्ष का साथ तो नहीं चाहिए?
