18वीं लोकसभा का पहला संसद सत्र 24 जून से 3 जुलाई तक होगा। यह संसद का विशेष सत्र होगा।लोकसभा चुनाव 2024 के बाद अब सभी की निगाहें 230 सीटें जीतने वाले विपक्षी इंडिया गठबंधन और 240 सीटें जीतने वाले भाजपा पर होंगी। हालांकि भाजपा को कुछ सहयोगी दलों का समर्थन हासिल है लेकिन संसद में ज्यादातर लड़ाई भाजपा को अपने दम पर लड़ना है। यह उसे अच्छी तरह पता है। संसद में तमाम ऐसे मुद्दे आएंगे, जिसमें टीडीपी, जेडीयू शायद उसका साथ न दे पाएं। लेकिन यह नौबत तो बहुत बाद में आएगी। अभी तो कई ऐसे मुद्दे इसी सत्र में आने वाले हैं जिसमें इंडिया गठबंधन के सांसद सरकार को निचोड़ सकते हैं।
पहले सत्र का सबसे अहम पहलू सदन के स्पीकर का चुनाव है। अगर सत्ता पक्ष और विपक्ष में सहमति नहीं बनी तो लोकसभा अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए चुनाव 26 जून 2024 को होगा। नीतीश कुमार की जेडीयू और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी इस पद पर नजरें गड़ाए हुए हैं। भाजपा की पूरी कोशिश है कि इस पद पर वो अपना ही अध्यक्ष लाए। उसे जेडीयू की ओर से हरी झंडी मिल चुकी है लेकिन टीडीपी की ओर से कोई अधिकृत बयान नहीं आया है। भाजपा की पहली कोशिश है कि ओम बिड़ला को ही फिर से अध्यक्ष बनवा दिया जाए। दूसरी तरफ उसने आंध्र प्रदेश की भाजपा अध्यक्ष और सांसद डी. पुरुंदेश्वरी को भी रिजर्व में रखा है। डी. पुरुंदेश्वरी आंध्र के सीएम चंद्रबाबू नायडू की साली हैं।
जब तक कोई नया अध्यक्ष नहीं चुना जाता, सबसे वरिष्ठ लोकसभा सांसद को अस्थायी अध्यक्ष चुना जाता है। इसके लिए, लोकसभा के साथ-साथ राज्यसभा में उनके कार्यकाल के संदर्भ में सांसदों की वरिष्ठता के मद्देनजर फैसला लिया जाता है। प्रोटेम स्पीकर लोकसभा के पहले कुछ सत्रों की अध्यक्षता करता है और नए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के लिए मतदान कराता है। सरकार ने पहले ही भृर्तहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त कर दिया है। महताब बीजेडी में थे और अब भाजपा से इस बार जीते हैं। वो सात बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। लेकिन अगर वरिष्ठता पैमाना होता तो सरकार और भाजपा इंसाफ करते हैं। कांग्रेस के सांसद डी. सुरेश 8 बार जीतकर लोकसभा आ चुके हैं। लेकिन कांग्रेसी होने की वजह से सरकार ने उनकी वरिष्ठता को नजरन्दाज कर दिया।
राष्ट्रपति का अभिभाषण और फिर मोदी का भाषण
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 27 जून को लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगी। वह अगले पांच वर्षों के लिए नई सरकार के रोडमैप की रूपरेखा पेश कर सकती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 जून को ही राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद संबोधित करेंगे। इस दौरान विपक्ष उनके भाषण का कड़ा विरोध कर सकता है। उनसे नीट परीक्षा की धांधली पर जवाब तलब कर सकता है। उनसे तीन न्याय संहिता पर रोक लगाने की मांग कर सकता है। देश में समुदाय विशेष के लोगों की लिंचिंग, प्रधानमंत्री के चुनावी भाषणों पर विपक्ष मोदी को चैन से बोलने नहीं दे सकता है।
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस में विपक्ष पूरी तरह से एनडीए सरकार को घेरने की कोशिश कर सकता है। पीएम मोदी बाद में संसद के दोनों सदनों में जब बहस का जवाब देंगे तो उस समय जबरदस्त हंगामे के आसार हैं।
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