संसद का बजट सत्र सोमवार को शुरू हो गया। इसकी शुरुआत साल का पहला सत्र होने के नाते परंपरा के अनुसार राष्ट्रपति के अभिभाषण से हुई। लेकिन इस बजट सत्र के काफी हंगामेदार होने की संभावना है। पेगासस पर न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट सामने आने के बाद विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर है। यह मामला हर हालत में संसद में उठेगा, लेकिन सवाल है कि सरकार इस पर चर्चा करने को तैयार होती है या नहीं?वहीं बजट सत्र में किसानों की एमएसपी की मांग आदि मुद्दों के उठने की भी संभावना है। हालांकि देश की निगाहें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर हैं, जो मंगलवार (1 फरवरी) को बजट पेश करेंगी।
पांच राज्यों - उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनावों के मद्देनजर सरकार और विपक्षी दलों का रुख देखने वाला होगा। मोदी सरकार और विपक्षी दल मतदाताओं तक अपना संदेश पहुंचाने की कोशिश करेंगे। ऐसे में दोनों सदनों- राज्यसभा और लोकसभा में हंगामे की प्रबल संभावना है। सरकार और विपक्ष के बीच लगातार टकराव होता रहा है और इस वजह से पिछली कई कार्यवाही के दौरान संसद सुचारू रूप से नहीं चल सकी।
किसान संगठन फिर से सरकार के सामने एमएसपी की मांग को उठाने के लिए कमर कस रहे हैं। 31 जनवरी को किसान वादा खिलाफी दिवस मनाने जा रहे हैं। इस मुद्दे को विपक्ष सत्र के दौरान उठाएगा। शनिवार को भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि किसानों की उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनवाने की लड़ाई जारी रहेगी।
किसान अपनी मांग को लेकर अड़े हैं और विपक्ष इस मुद्दे को ज़रूर उठाएगा। किसान नेता टिकैत ने भी कहा है, “किसानों के परिवारों ने आंदोलन में अपने 700 से अधिक प्रियजनों को खो दिया है। किसान पिछले साल के इन दिनों को कभी नहीं भूलेंगे।”
टिकैत ने कहा, एमएसपी किसानों की रीढ़ है और किसान चाहते हैं कि एमएसपी गारंटी कानून खेती का भविष्य बचाए! लड़ाई जारी है, लड़ाई जारी रहेगी।”
पिछले साल 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि केंद्र कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए संसद के शीतकालीन सत्र में आवश्यक विधेयक लाया जाएगा। शीतकालीन सत्र के पहले दिन लोकसभा और राज्यसभा ने विधेयक पारित किया। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने भी तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की प्रक्रिया को पूरा करने वाले विधेयक को अपनी सहमति दे दी है। पीएम मोदी ने यह भी कहा था कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए एक नए ढांचे पर काम करने के लिए एक समिति का गठन करेगी। लेकिन अभी तक इस दिशा में कुछ हुआ नहीं। समझा जाता है कि पांच राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद केंद्र सरकार कदम बढ़ाएगी।
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