इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका ने जैसे ही भारत के सीसी 1 यानी विकास यादव को पन्नू मामले में आरोपी के रूप में पहचान की, उसके कुछ ही दिन बाद दिल्ली पुलिस ने विकास यादव को गिरफ्तार कर लिया था। उन पर रोहिणी के एक शख्स के अपहरण और जबरन वसूली का आरोप है। पिछले नवंबर में अमेरिकी न्याय विभाग (डीओजे) के दस्तावेजों में "सीसी-1" (सह-साजिशकर्ता) के रूप में विकास यादव का नाम आया था। अमेरिकी न्याय विभाग ने विकास पर खालिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया था। बाद में एफबीआई ने विकास यादव को भगोड़ा करार देते हुए पोस्टर जारी कर दिया था।
रिकॉर्ड बताते हैं कि चार महीने तिहाड़ में रहने के बाद, यादव को इस साल अप्रैल में जमानत पर रिहा कर दिया गया। अमेरिका ने विकास यादव पर मनी लॉन्ड्रिंग करने का भी आरोप लगाया है। अभियोग में आरोप लगाया गया है कि विकास यादव ने अपने सह-साजिशकर्ता निखिल गुप्ता के साथ मिलकर 2023 की गर्मियों में सिख अलगाववादी नेता की हत्या की साजिश रची। इसके लिए निखिल गुप्ता ने हत्या का काम करने के लिए एक व्यक्ति को काम पर रखा था। अज्ञात व्यक्ति, जो एफबीआई का मुखबिर था, ने नौकरी के लिए 100,000 अमेरिकी डॉलर मांगे और 9 जून, 2023 को अग्रिम भुगतान के रूप में 15,000 अमेरिकी डॉलर प्राप्त किए।
विकास यादव का नाम अमेरिकी न्याय विभाग की सूची में साजिशकर्ता के रूप में दर्ज है। लेकिन जानकारी सामने आने के बाद भारत ने कहा कि आरोपी विकास यादव अब सरकारी सेवा में नहीं है और उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। लेकिन यहां नया मोड़ तब सामने आ गया जब अमेरिकी की ताकतवर जांच एजेंसी एफबीआई ने विकास को वॉन्टेड की सूची में डालकर पोस्टर जारी कर दिया और भारत से भी उसके बारे में और जानकारी देने को कहा।
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इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक 18 दिसंबर को रोहिणी में एक शख्स ने एफआईआर दर्ज कराई है कि विकास यादव ने उसका अपहरण किया था और जबरन वसूली की थी। दिल्ली पुलिस ने विकास यादव को गिरफ्तार कर लिया। उसे लॉरेंस बिश्नोई गिरोह से भी जोड़ दिया गया।
दहलाने वाले तथ्य
रोहिणी के शख्स ने आरोप लगाया था कि वो एक आईटी कंपनी चलाते थे। इस वजह से उनके विदेशों में भी संपर्क थे। उस शख्स ने दिल्ली पुलिस को बताया था कि नवंबर 2023 में मुझे मेरे दोस्त ने विकास यादव को सीनियर सरकारी अधिकारी के रूप में मिलवाया। हमने एक दूसरे को अपना मोबाइल नंबर दिया। हमारे बीच बिजनेस की कोई बात नहीं होती थी। लेकिन वो (विकास) बराबर कहते रहते थे कि मुझे विदेशों में संपर्क वाले लोगों के बारे में जानकारी रखनी चाहिए। उन्होंने उसी दौरान एक सवाल यह भी किया था कि मैं विदेश में रह रहे लोगों के साथ पैसों का लेन देन किस तरह करता हूं।
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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक कुछ समय बाद विकास यादव ने रोहिणी के उस शख्स को यह भी बताया कि वो एक बहुत बड़ी केंद्रीय खुफिया एजेंसी के अंडर कवर एजेंट हैं और महत्वपूर्ण मिशन पर काम कर रहे हैं। रोहिणी के शख्स ने दिल्ली पुलिस को बताया कि विकास यादव ने कभी भी अपने दफ्तर या घर का पता नहीं दिया और न अपनी पोस्ट की जानकारी दी।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक रोहिणी के उस शख्स ने दिल्ली पुलिस को बताया कि 11 दिसंबर कौ विकास यादव ने मुझे फोन करके बताया कि मेरी जिन्दगी खतरे में हैं। वो जल्दी से लोधी रोड पर उनसे मिलने पहुंचे। मैं लोधी रोड पर पहुंचा तो विकास यादव एक गाड़ी में कुछ लोगों के साथ आये। मुझे उसमें जबरन बैठाया और डिफेंस कॉलोनी के एक फ्लैट में ले गये। वहां उन्होंने मुझे बताया कि दुबई के एक शख्स ने मेरे मारने की सुपारी लॉरेंस बिश्नोई गिरोह को दी है। फिर वहां उसके साथ मारपीट की गई। उसकी गोल्ड चेन और अंगूठी छीन ली गई। फिर वो लोग उसे मेरे ही कैफे में लेकर आये और वहां से कैश लिया। फिर उन्होंने मुझे सड़क पर छोड़ दिया और यह घटना किसी को भी बताने पर नतीजा भुगतने की चेतावनी दी।
दिल्ली पुलिस ने अगले ही दिन विकास यादव और उसके साथी को गिरफ्तार कर लिया। इस साल दिल्ली पुलिस ने इस मामले की चार्जशीट दाखिल की। जिसमें विकास यादव के खिलाफ आईपीसी की धारा 307 (जान से मारने की कोशिश), 120 बी (आपराधिक साजिश), 364 ए (अपहरण), 506 (धमकी), 341 (बंधक बनाना) आदि धाराएं लगाई गई हैं।
दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में विकास यादव का बयान दर्ज है। विकास ने दिल्ली पुलिस को बयान दिया कि उसके पिता बीएसएफ में काम करते थे। 2007 में उनका निधन हो गया। 2015 में मेरी शादी हुई। उन्होंने रोहिणी के उस अमीर शख्स का अपहरण कर पैसा कमाने की योजना बनाई। विकास का एक साथी जो कार डीलर था, उसे बिजनेस में घाटा हो गया था, तो वो भी विकास के साथ इस साजिश में शामिल हो गया।
पुलिस चार्जशीट में विकास यादव का जन्मस्थान हरियाणा में प्राणपुरा बताया गया है। लेकिन उसके बिजनेस या नौकरी का कोई जिक्र चार्जशीट में नहीं है। प्राणपुरा वही जगह है, जिसका जिक्र यूएस जस्टिस डिपार्टमेंट के केस में भी किया गया है। जिसका जिक्र एफबीआई ने अपने पोस्टर में भी किया है। आरोपी विकास यादव को तिहाड़ जेल की सेंट्रल जेल नंबर 1 में रखा गया था। पटियाला हाउस कोर्ट ने विकास यादव को उनकी बेटी की बीमारी, पूर्व सरकारी कर्मचारी, पिछला आपराधिक रेकॉर्ड न होने की वजह से 22 मार्च को जमानत दे दी। 22 अप्रैल को विकास जेल से बाहर आये।
इंडियन एक्सप्रेस ने शुक्रवार को रोहिणी के उस शख्स से संपर्क किया। तो उसने घटना का वही ब्यौरा दिया जो बातें चार्जशीट में हैं। उसने यह भी कहा कि विकास यादव और उसके दोस्त ने मुझसे पैसे ऐंठ लिये और मैं अब भी बहुत डरा हुआ हूं। इंडियन एक्सप्रेस ने इस बारे में विदेश मंत्रालय, दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता, स्पेशल कमिश्रर दिल्ली पुलिस (स्पेशल सेल) और दिल्ली के पुलिस कमिश्नर से टिप्पणी मांगी लेकिन किसी ने कोई जवाब नहीं दिया। यहां यह बताना जरूरी है कि स्पेशल सेल का दफ्तर लोधी रोड पर है, जहां वो आरोपियों से या उठाकर लाये गये लोगों से पूछताछ करती है। इसके अलावा डिफेंस कॉलोनी में भी उसके पास किराये के फ्लैट हैं, जहां वो विभिन्न अपराध के आरोपियों को रखकर पूछताछ करती है। दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में लोधी रोड और डिफेंस कॉलोनी का जिक्र आया है, लेकिन यह जरूरी नहीं है कि इस घटना से उन जगहों का संबंध दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल से जुड़ता हो।
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