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जम्मू-कश्मीर में भारत सरकार जो कार्रवाइयाँ कर रही है, वह बेहद बुरे वक़्त हो रहा है। यदि वहाँ तनाव बढ़ा तो हमें पश्चिमी सीमा से सैनिक हटा कर पूर्वी सीमा पर तैनात करना होगा।
असद मजीद ख़ान, अमेरिका में पाकिस्तानी राजदूत
ऑपरेशन पराक्रम
इसी तरह एक बार पहले भी पाकिस्तान ने अपनी सेना भारतीय सीमा पर तैनात कर दी थी। दोनों देशों की सेनाएँ बिल्कुल एक दूसरे के सामने खड़ी हो गई थीं और युद्ध का माहौल बन गया था। संसद पर आतंकवादी हमले के बाद 13 दिसंबर 2001 से लेकर 10 जून 2002 तक यह माहौल रहा। इसे भारत में 'ऑपरेशन पराक्रम' कहा गया था।
'ऑपरेशन पराक्रम' के तहत भारत के 5 लाख और पाकिस्तान के 3 लाख सैनिक नियंत्रण रेखा पर तैनात थे। दोनों देशों ने अपनी-अपनी मिसाइलें भी सीमा पर लगा दीं। इसके अलावा दोनों देशों की वायु सेना के कई स्क्वैड्रन आमने सामने थे तो नौसेना को भी 'हाई अलर्ट' पर रखा गया था।
'ऑपरेशन ब्रासटैक'
इसके पहले भी एक बार भारत-पाकिस्तान सीमा पर ऐसा ही तनाव हुआ था। भारतीय सेना ने 18 नवंबर 1986 से 6 मार्च 1987 तक 'ऑपरेशन ब्रासटैक' चलाया था। यह युद्ध अभ्यास था, जिसके तरह बड़ी तादाद में भारतीय सैनिकों को राजस्थान-गुजरात में पाकिस्तानी सीमा पर तैनात कर दिया गया था। पाकिस्तान ने अपने 5 कोर को भारतीय सीमा के पास तैनात कर दिया। उसने अपने दक्षिणी वायु कमान को भारतीय पंजाब से सटी सीमा पर ला खड़ा किया था। इसके अलावा पाकिस्तान ने अपनी नौसेना को भी भारतीय सीमा के पास तैनात कर दिया।
सवाल यह है कि क्या 'ऑपरेशन पराक्रम' की तरह एक बार फिर दोनों देशों की सेनाएँ एक दूसरे के मुखातिब होंगी?
भारत की सरकार ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन अफ़ग़ानिस्तान ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है। अमेरिका में अफ़ग़ान राजदूत रोया रहमान ने पाकिस्तान के इस बयान को 'लापरवाही भरा, ग़ैरज़िम्मेदाराना और ग़ैरज़रूरी' क़रार दिया। उन्होंने एक बयान जारी कर कहा कि 'अफ़ग़ानिस्तान का मानना है कि तमाम मसलों का समाधान बातचीत के ज़रिए ही की जा सकती है।'
The Islamic Republic of Afghanistan strongly questions the assertion made by Pakistan's ambassador to the United States, Asad Majeed Khan, that the ongoing tensions in Kashmir could potentially affect Afghanistan’s peace process. pic.twitter.com/OASLSsZQ0x
— Afghan Embassy DC (@Embassy_of_AFG) August 18, 2019
रोया रहमान ने कड़े शब्दों में प्रतिवाद जताते हुए कहा कि 'अफ़ग़ान सीमा पर लाखों सैनिक तैनात रखने की कोई ज़रूरत ही नहीं है। इसके उलट अफ़ग़ान की स्थिरता को पाकिस्तान में बसे हुए, पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी गुटों से ख़तरा है।'
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