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भारतीय सीमा पर लाखों सैनिक तैनात करेगा पाकिस्तान?

कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म किए जाने के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। क्या एक बार फिर पाकिस्तान अपने लाखों सैनिकों और साजो सामान को भारत से लगने वाली सीमा पर तैनात करने जा रहा है?
यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि अमेरिका में पाकिस्तानी राजदूत असद मजीद ख़ान ने कहा है कि उनका देश भारत की सीमा पर अपनी सेना तैनात करने पर मजबूर हो सकता है। 
अमेरिकी अख़बार 'दि न्यूयॉर्क टाइम्स' को दिए इंटरव्यू में ख़ान ने कहा, 'हमारे पास कोई उपाय नहीं है। यदि पूर्वी सीमा पर तनाव बढ़ता है तो हमे अपनी सेना को वहाँ तैनात करना पड़ सकता है।' 

जम्मू-कश्मीर में भारत सरकार जो कार्रवाइयाँ कर रही है, वह बेहद बुरे वक़्त हो रहा है। यदि वहाँ तनाव बढ़ा तो हमें पश्चिमी सीमा से सैनिक हटा कर पूर्वी सीमा पर तैनात करना होगा।


असद मजीद ख़ान, अमेरिका में पाकिस्तानी राजदूत

पाकिस्तान के पश्चिम में अफ़ग़ानिस्तान और पूरब में भारत है। पाकिस्तानी राजदूत के कहने का मतलब यह है कि इसलामाबाद अफ़ग़ान सीमा से सेना हटा कर भारतीय सीमा पर तैनात कर देगा। 

ऑपरेशन पराक्रम

इसी तरह एक बार पहले भी पाकिस्तान ने अपनी सेना भारतीय सीमा पर तैनात कर दी थी। दोनों देशों की सेनाएँ बिल्कुल एक दूसरे के सामने खड़ी हो गई थीं और युद्ध का माहौल बन गया था। संसद पर आतंकवादी हमले के बाद 13 दिसंबर 2001 से लेकर 10 जून 2002 तक यह माहौल रहा। इसे भारत में 'ऑपरेशन पराक्रम' कहा गया था।  

'ऑपरेशन पराक्रम' के तहत भारत के 5 लाख और पाकिस्तान के 3 लाख सैनिक नियंत्रण रेखा पर तैनात थे। दोनों देशों ने अपनी-अपनी मिसाइलें भी सीमा पर लगा दीं। इसके अलावा दोनों देशों की वायु सेना के कई स्क्वैड्रन आमने सामने थे तो नौसेना को भी 'हाई अलर्ट' पर रखा गया था।
इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता जताई गई थी। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने अपने रक्षा मंत्री कोलिन पॉवेल को इसलामाबाद भेजा, जिसने पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ पर दबाव डाला कि वह अपनी सेना सीमा से वापस बुलाएँ। वाशिंगटन ने जैश-ए-मुहम्मद को आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया। इसी संगठन ने संसद पर हमला किया था। 

'ऑपरेशन ब्रासटैक'

इसके पहले भी एक बार भारत-पाकिस्तान सीमा पर ऐसा ही तनाव हुआ था। भारतीय सेना ने 18 नवंबर 1986 से 6 मार्च 1987 तक 'ऑपरेशन ब्रासटैक' चलाया था। यह युद्ध अभ्यास था, जिसके तरह बड़ी तादाद में भारतीय सैनिकों को राजस्थान-गुजरात में पाकिस्तानी सीमा पर तैनात कर दिया गया था। पाकिस्तान ने अपने 5 कोर को भारतीय सीमा के पास तैनात कर दिया। उसने अपने दक्षिणी वायु कमान को भारतीय पंजाब से सटी सीमा पर ला खड़ा किया था। इसके अलावा पाकिस्तान ने अपनी नौसेना को भी भारतीय सीमा के पास तैनात कर दिया। 

सवाल यह है कि क्या 'ऑपरेशन पराक्रम' की तरह एक बार फिर दोनों देशों की सेनाएँ एक दूसरे के मुखातिब होंगी?

भारत की सरकार ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन अफ़ग़ानिस्तान ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है। अमेरिका में अफ़ग़ान राजदूत रोया रहमान ने पाकिस्तान के इस बयान को 'लापरवाही भरा, ग़ैरज़िम्मेदाराना और ग़ैरज़रूरी' क़रार दिया। उन्होंने एक बयान जारी कर कहा कि 'अफ़ग़ानिस्तान का मानना है कि तमाम मसलों का समाधान बातचीत के ज़रिए ही की जा सकती है।'

रोया रहमान ने कड़े शब्दों में प्रतिवाद जताते हुए कहा कि 'अफ़ग़ान सीमा पर लाखों सैनिक तैनात रखने की कोई ज़रूरत ही नहीं है। इसके उलट अफ़ग़ान की स्थिरता को पाकिस्तान में बसे हुए, पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी गुटों से ख़तरा है।'
इस अफ़ग़ानिस्तान-पाकिस्तान-भारत त्रिकोण में एक और खिलाड़ी है, अमेरिका। पाकिस्तान भारतीय सीमा पर सैनिकों की तैनाती की बात कर अमेरिका को यह संकेत देना चाहता है कि अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी सेना हटने के बाद वहाँ आतंकवादी वारदात बढ़ सकती है क्योंकि पाकिस्तानी सेना वहाँ से हट जाएगी तो तालिबान को रोकने वाला कोई नहीं होगा।
पाकिस्तान एक तीर से कई शिकार करना चाहता है। वह भारत को धमकी दे रहा है, अफ़गानिस्तान को डरा रहा है और अमेरिका को चेतावनी दे रहा है। सवाल यह है कि यदि पाकिस्तान ने भारतीय सीमा पर लाखों सैनिक तैनात कर दी दिए तो दिल्ली क्या करेगी? क्या भारत भी ऑपरेशन पराक्रम की तरह लाखों सैनिको को सीमा पर खड़ा कर देगा? मौजूदा हालत को देखते हुए इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। 
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क़मर वहीद नक़वी
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