संसद में मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर चर्चा नहीं होते देख अब विपक्ष को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से उम्मीदें हैं। मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से मंगलवार को कहा गया कि कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने विपक्षी दलों की ओर से मणिपुर मुद्दे पर चर्चा के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से समय मांगा है। लेकिन रिपोर्ट है कि अभी तक उन्हें राष्ट्रपति से समय नहीं मिला है।
विपक्षी दल संसद में प्रधानमंत्री के बयान के साथ-साथ लोकसभा और राज्यसभा दोनों में मणिपुर में हिंसा पर व्यापक चर्चा की मांग कर रहे हैं। इस मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में गतिरोध बना हुआ है। मंगलवार को भी दोनों सदनों में गतिरोध बना रहा और दोनों सदनों को कई बार स्थगित करना पड़ा।
संसद में इस मुद्दे पर चर्चा नहीं होते देख अब विपक्षी दलों ने इस मामले में राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग करते हुए दावा किया है कि भाजपा शासित पूर्वोत्तर राज्य में हिंसा जारी है और कई लोगों की जान जा चुकी है।
विपक्षी दलों की ओर से यह क़दम तब उठाया जा रहा है जब उनके सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल हिंसा प्रभावित राज्य का दौरा कर लौटा है। इस प्रतिनिधिमंडल ने विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के नेताओं को वहां की स्थिति से अवगत कराया है। प्रतिनिधिमंडल में शामिल सांसदों ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और पहाड़ियों के साथ-साथ घाटी दोनों में राहत शिविरों में लोगों से मुलाकात की। ये सांसद मणिपुर में हिंसा और बलात्कार पीड़ित लोगों से मिले, राहत शिविरों के हालात देखे और लोगों से उनकी पीड़ा सुनी।
नई दिल्ली में लौटने के बाद प्रतिनिधिमंडल में शामिल अधिकांश सांसदों ने कहा है कि 'राहत शिविरों की दयनीय स्थिति' है जहाँ हिंसा से प्रभावित लोगों को रखा गया है।
इस प्रतिनिधिमंडल ने वहाँ जो हालात देखे उसकी स्थिति से मणिपुर के राज्यपाल को भी अवगत कराया। सांसद दिल्ली लौटने से पहले रविवार को राज्यपाल अनुसुइया उइके से राजभवन में मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन दिया। सांसदों ने मणिपुर के लोगों से मिली तमाम सूचनाएं राज्यपाल को दीं और कहा कि फौरन शांति बहाल करने की ज़रूरत है। उन्होंने ज्ञापन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में जारी हिंसा पर उनकी चुप्पी उनकी निर्लज्ज उदासीनता को दर्शाती है।
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