loader

बिहार में 'जातिगत सर्वे' जारी रहेगा, चुनौती देने वाली याचिकाएँ खारिज

पटना उच्च न्यायालय ने राज्य में जाति-आधारित सर्वेक्षण कराने के बिहार सरकार के फ़ैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दीं। और हाई कोर्ट के इस फ़ैसले के साथ ही फ़िलहाल नीतीश सरकार के इस सर्वे को जारी रहने का रास्ता साफ़ हो गया है। हालाँकि, जिन लोगों ने याचिकाएँ दायर की थीं उन्होंने अब इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की पीठ ने जाति-आधारित सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली पांच याचिकाओं पर सुनवाई के बाद फ़ैसला सुनाया। मई महीने में उच्च न्यायालय ने बिहार में जाति-आधारित सर्वेक्षण पूरा होने से 11 दिन पहले रोक लगाने का अंतरिम आदेश जारी किया था।

ताज़ा ख़बरें

राज्य सरकार ने जाति सर्वेक्षण का पहला चरण 7 से 21 जनवरी के बीच पूरा किया और वह 15 अप्रैल से दूसरा चरण आयोजित कर रही थी, जिसे 15 मई को पूरा किया जाना था। पूरी प्रक्रिया इस साल मई तक पूरी करने की योजना थी। हालाँकि, 4 मई को हाई कोर्ट ने इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी।

तब उस पर रोक लगाने का आदेश देते हुए अदालत ने कहा था कि उसने पाया कि सर्वेक्षण वास्तव में एक जनगणना थी, जिसे केवल केंद्र सरकार ही कर सकती थी। अदालत ने तब कहा था, 'हमने पाया है कि जाति-आधारित सर्वेक्षण एक सर्वेक्षण की आड़ में एक जनगणना है; इसे पूरा करने की शक्ति विशेष रूप से केंद्रीय संसद के पास है, जिसने जनगणना अधिनियम, 1948 भी बनाया है।' इसके बाद बिहार सरकार ने जाति-आधारित सर्वेक्षण पर रोक लगाने वाले उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उस स्टे को हटाने से इनकार कर दिया था। अब पटना हाई कोर्ट का ही इस पर फ़ैसला आया है। 

ताज़ा फ़ैसले पर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा है, 'हमारी सरकार के जाति आधारित सर्वे से प्रामाणिक, विश्वसनीय और वैज्ञानिक आँकड़े प्राप्त होंगे। इससे अतिपिछड़े, पिछड़े तथा सभी वर्गों के गरीबों को सर्वाधिक लाभ प्राप्त होगा। जातीय गणना आर्थिक न्याय की दिशा में बहुत बड़ा क्रांतिकारी कदम होगा। हमारी माँग है कि केंद्र सरकार जातीय गणना करवाए। ओबीसी प्रधानमंत्री होने का झूठा दंभ भरने वाले देश की बहुसंख्यक पिछड़ी और गरीब आबादी की जातीय गणना क्यों नहीं कराना चाहते?'
बिहार से और ख़बरें

बता दें कि विपक्षी दलों के गठबंधन I.N.D.I.A. ने भी पूरे देश में जाति जनगणना कराने की मांग की है। बेंगलुरु में हुई 26 विपक्षी दलों की बैठक में जो कई अहम प्रस्ताव पास किए गए थे उनमें जाति जनगणना लागू करने की मांग भी थी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उस बैठक के बाद इनकी घोषणाएं कीं। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

बिहार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें