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भगदड़ के बाद 'ऑपरेशन लीपापोती', रेलमंत्री इस्तीफ़ा दें: विपक्ष

क्या नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ की घटना को लेकर सरकार तथ्यों को छुपा रही है? क्या मौत की संख्या को छुपाया जा रहा है? भगदड़ के बाद शुरुआत में जिस तरह से भगदड़ को अफवाह बताने की कोशिश की गई, उसके बाद से लगातार प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं और इसी क्रम में विपक्षी दलों ने इस मामले में लीपापोती किए जाने का आरोप लगाया है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रीया श्रीनेत ने कहा है हमारी सबसे बड़ी मांग है कि रेलमंत्री इस्तीफ़ा दें।

कांग्रेस ने कहा है, "कल (शनिवार) रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मची और लाचार श्रद्धालुओं की मौत हुई। सरकार को इस बात की फ़िक्र नहीं रहती कि इन मौतों को कैसे रोका जाए। सरकार की चिंता रहती है कि मौत की ख़बरों को कैसे रोका जाए। इसलिए भगदड़ के बाद 'ऑपरेशन लीपापोती' चलाया गया।" कांग्रेस ने कहा है, 'रेल मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए, देश से माफी मांगनी चाहिए।'

समाजवादी पार्टी ने भी चेताया है कि सरकार सच को नहीं छुपाए। अखिलेश यादव ने कहा, 'दिल्ली में महाकुंभ के श्रद्धालुओं की दर्दनाक मौत हृदयविदारक है। सरकार में बैठे लोगों को राजनीतिज्ञ नहीं एक उस परिवारवाले की तरह सोचना होगा जिसने अपने माँ-बाप, भाई-बहन, बच्चे और नाते-रिश्तेदार खोये हैं। मृतकों के शवों को ससम्मान उनके परिजनों तक पहुँचाने का ईमानदार इंतज़ाम किया जाए और घायलों को सर्वश्रेष्ठ उपचार उपलब्ध कराया जाए। भाजपा सरकार मौत का सच छुपाने का पाप न करे।'

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मचने को लेकर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा, 'यह घटना एक बार फिर रेलवे की नाकामी और सरकार की असंवेदनशीलता को उजागर करती है।' 

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उन्होंने आगे कहा, 'प्रयागराज जा रहे श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या को देखते हुए स्टेशन पर बेहतर इंतजाम किए जाने चाहिए थे। सरकार और प्रशासन को सुनिश्चित करना चाहिए कि बदइंतजामी और लापरवाही के कारण किसी को अपनी जान न गंवानी पड़े।' 

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है, 'नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ से कई लोगों की मृत्यु हो जाने का समाचार अत्यंत पीड़ादायक है। स्टेशन से आ रहे वीडियो बेहद हृदयविदारक हैं। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई मौतों के मामले में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा सच्चाई छिपाने की कोशिश बेहद शर्मनाक व निंदनीय है। हमारी मांग है कि मृतकों व घायलों की संख्या जल्द से जल्द घोषित की जाए व गुमशुदा लोगों की पहचान भी सुनिश्चित की जाए। पीड़ितों के परिजनों को हमारी गहरी संवेदनाएं। घायलों को तत्काल इलाज के लिए स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराई जाए।'

इस मामले में सुप्रिया श्रीनेत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर कल रात जो हुआ, वो हादसा नहीं 'नरसंहार' है। उन्होंने आरोप लगाया, 'इस भीषण हादसे के बाद रेल मंत्री इस्तीफा देने के बजाए पूरी तरह से बेशर्मी पर उतर आए और लीपा-पोती में लग गए। सब कुछ कंट्रोल में है का नैरेटिव और मौत के आंकड़ें छिपाने में जुट गए। रिपोर्टर्स के फ़ोन ज़ब्त किए जाने लगे, फ़ुटेज डिलीट करने तक को कहा गया।'

उन्होंने कहा कि कल के हादसे के कुछ ही घंटे पहले रेल मंत्रालय की सेफ्टी रिव्यू मीटिंग हुई थी। उन्होंने पूछा कि रेलवे की उस मीटिंग का क्या निष्कर्ष निकला? क्या मीटिंग सिर्फ चाय-समोसा खिलाने के लिए बुलाई गई थी? सुप्रिया ने कहा, 'कल 15 फरवरी को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हर घंटे 1,500 जनरल टिकट कटे। रेलवे को पता था कि वहां कितने श्रद्धालु जमा होने वाले हैं।'

कांग्रेस के सवाल

  • भीड़ संचालन के लिए क्या इंतजाम किए गए?
  • वहां कितनी संख्या में पुलिसकर्मियों और आरपीएफ़ को तैनात किया गया? 
  • क्या डिजास्टर मैनेजमेंट या दिल्ली पुलिसकर्मियों को बुलाया गया? 
  • क्या वहां भीड़ को कंट्रोल करने के अनाउंसमेंट किए जा रहे थे?

बता दें कि शनिवार रात में जब घटना घटी थी तो शुरुआत में इसे अफवाह बताने की कोशिश की गई। पहले कहा गया था कि मामूली घटना हुई है और कुछ लोगों को मामूली चोटें आई हैं। शुरुआत में सिर्फ़ 6 लोगों के घायल होने की खबर आई थी। बाद में मीडिया रिपोर्टों में कई लोगों की मौत की ख़बरें आने के बाद भगदड़ की बात स्वीकारी गई। देर रात तक मृतकों की संख्या 15 हो गई थी। इसके बाद भी यह संख्या बढ़ती गई। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार मृतकों की संख्या बढ़कर 18 हो गई है। मृतकों में नौ महिलाएं, पांच बच्चे और चार पुरुष शामिल हैं। इसी बीच आरोप लगाया जाने लगा कि क्या मौत के आँकड़े छुपाए जा रहे हैं। मीडिया कर्मियों को रिपोर्टिंग करने से रोके जाने की भी ख़बरें आईं। 

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नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर महाकुंभ के लिए जा रहे हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ काफ़ी ज़्यादा थी। यह घटना रात करीब 10 बजे प्लेटफार्म 13 और 14 पर हुई, जब हजारों महाकुंभ श्रद्धालु अपनी ट्रेनों में चढ़ने के लिए जुटे हुए थे। घायलों का वर्तमान में लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल और लेडी हार्डिंग अस्पताल में इलाज चल रहा है।

भारतीय रेलवे ने पीड़ितों के परिवारों के लिए 10 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों के लिए 25 लाख रुपये और मामूली रूप से घायलों के लिए 1 लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की है। घटना के मद्देनजर, उत्तर प्रदेश की राजकीय रेलवे पुलिस ने राज्य भर के सभी रेलवे स्टेशनों, खासकर प्रयागराज, जहां वर्तमान में महाकुंभ मेला चल रहा है, पर हाई अलर्ट जारी कर दिया है।

हादसे के पीछे बड़ी वजह

दो ट्रेनों की देरी, प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर यात्रियों की भीड़ और एक विशेष ट्रेन की घोषणा। ये वे घटनाक्रम हैं जो भगदड़ से पहले चले। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार यह घटना रात 9.30 बजे से 10.15 बजे के बीच प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर हुई, जहाँ कई लोग फुट ओवरब्रिज, सीढ़ियों और एस्केलेटर पर फँस गए थे। दिल्ली फायर सर्विस को भगदड़ की पहली कॉल रात 9.55 बजे मिली।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि शनिवार रात को सैकड़ों यात्री प्रयागराज जाने वाली ट्रेन में सवार होने के लिए प्लेटफार्म 14 पर इंतजार कर रहे थे, जबकि बड़ी संख्या में यात्री नई दिल्ली से दरभंगा जाने वाली स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस में सवार होने के लिए बगल के प्लेटफॉर्म 13 पर भी जुटे हुए थे। 

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार शुरुआती जाँच रिपोर्ट में कहा गया है कि अतिरिक्त टिकट बिक्री के कारण प्लेटफॉर्म 14 पर यात्रियों की संख्या बढ़ने लगी, जिससे भीड़भाड़ बढ़ गई और लोगों के खड़े होने के लिए भी जगह नहीं बची। रिपोर्ट में कहा गया है, 'बढ़ती भीड़ और लगातार टिकट बिक्री को देखते हुए रात क़रीब 10 बजे रेलवे अधिकारियों ने प्लेटफॉर्म 16 से प्रयागराज के लिए एक विशेष ट्रेन की घोषणा की। यह घोषणा सुनते ही, प्लेटफॉर्म 14 पर इंतजार कर रहे जनरल टिकट वाले यात्री फुट ओवरब्रिज पार करके प्लेटफॉर्म 16 की ओर दौड़ पड़े।' इसी बीच भगदड़ मच गई।

(इस रिपोर्ट का संपादन अमित कुमार सिंह ने किया है।)

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क़मर वहीद नक़वी
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