सरकार कह चुकी है कि पूरे देश भर में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी एनआरसी को लागू किया जाएगा। असम में इसे लागू किया जा चुका है। असम में ख़ुद को नागरिक साबित करने में लोगों को काफ़ी दिक्कतें सामने आईं और क़रीब 19 लाख लोग एनआरसी से बाहर हो गए हैं। ऐसे में एनआरसी को पूरे देश में लागू किए जाने से लोगों में कई आशंकाएँ और सवाल भी हैं। क्या दस्तावेज़ देने होंगे? क्या जो प्रक्रिया असम में अपनाई गई वही पूरे देश में लागू होगी? फ़िलहाल सरकार ने औपचारिक तौर पर तो दस्तावेज़ों की सूची नहीं जारी की, लेकिन एक सफ़ाई ज़रूर जारी की है। लेकिन पहले पढ़िए, असम में क्या प्रक्रिया अपनाई गई।
असम में एनआरसी
असम में नागरिकता रजिस्टर में नाम दर्ज कराने के लिए सिर्फ़ एक ही डॉक्यूमेंट की ज़रूरत बताई गई थी। लेकिन इसके लिए दो सूची बनाई गई थी। सूची 'अ' और सूची 'ब'। सूची 'अ' में 14 दस्तावेज़ों के नाम थे जिसमें से किसी एक दस्तावेज़ ख़ुद के नाम से होना चाहिए। यदि इसमें ख़ुद के नाम से कोई दस्तावेज़ नहीं होकर और माता, पिता, दादा, दादी जैसे अपने पूर्वजों के नाम से दस्तावेज़ था तो सूची 'ब' में ज़िक्र किए गए 8 में से कोई एक दस्तावेज़ भी ख़ुद के नाम से होना ज़रूरी था। बता दें कि असम में नागरिकता सिद्ध करने के लिए असम समझौता के अनुसार, 24 मार्च 1971 (आधी रात) की कट ऑफ़ डेट तय की गई थी।
सूची 'अ'
- 1951 एनआरसी
- 24 मार्च 1971 (आधी रात) तक निर्वाचन सूची में नाम
- ज़मीन और काश्तकारी रिकॉर्ड्स
- नागरिकता प्रमाण पत्र
- स्थायी निवास प्रमाण पत्र
- शरणार्थी रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र
- पासपोर्ट
- एलआईसी
- कोई सरकारी लाइसेंस/प्रमाण पत्र
- सरकारी सेवा/नौकरी का प्रमाण पत्र
- बैंक/पोस्ट ऑफ़िस खाता
- जन्म प्रमाण पत्र
- बोर्ड/विश्वविद्यालय शैक्षणिक प्रमाण पत्र
- अदालती रिकॉर्ड/प्रक्रियाँ
सूची 'ब'
- जन्म प्रमाण पत्र
- ज़मीन के काग़जात
- बोर्ड/विश्वविद्यालय प्रमाण पत्र
- बैंक/एलआईसी/पोस्ट ऑफ़िस रिकॉर्ड्स
- सर्कल ऑफ़िसर/जीपी सचिव प्रमाण पत्र (शादीशुदा महिला के लिए)
- निर्वाचन सूची में नाम
- राशन कार्ड
- दूसरे कोई भी क़ानूनी तौर पर मान्य दस्तावेज़
यदि देश में लागू हो तो क्या होगा?
सरकार ने देश भर में एनआरसी लागू करने के बारे में सफ़ाई जारी की है। हालाँकि यह सफ़ाई भी सूत्रों के हवाले से ही आई है। इसमें सरकार का दावा है कि जन्म की तारीफ़ और जन्मस्थान से संबंधित कोई भी दस्तावेज़ जमा कर नागरिकता साबित की जा सकती है। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि अभी तक ऐसे स्वीकार्य दस्तावेज़ों को लेकर निर्णय होना बाक़ी है। इसमें कहा गया है कि वोटर कार्ड, पासपोर्ट, आधार, लाइसेंस, बीमा के पेपर, जन्म प्रमाण पत्र, स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र, ज़मीन या घर के कागजात या फिर सरकारी अधिकारियों द्वारा जारी इसी प्रकार के अन्य दस्तावेज़ों के शामिल किए जाने की संभावना है। इसमें दावा किया गया है कि असम की तरह कट ऑफ़ डेट 24 मार्च 1971 नहीं होगी। हालाँकि ये भी जानकारियाँ सूत्रों के हवाले से ही आई हैं और औपचारिक तौर पर नहीं। अभी काफ़ी कुछ तय किया जाना बाक़ी है।
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