भारत के उन लोगों को ब्रिटेन जाने पर अब क्वारंटीन से नहीं गुजरना होगा जिन्होंने कोविशील्ड या ब्रिटेन में मान्य दूसरे टीके लगवाए हैं। ब्रिटेन ने गुरुवार को इसकी घोषणा की। यह नया नियम 11 अक्टूबर से लागू होगा। इससे पहले सितंबर महीने के तीसरे हफ़्ते में ब्रिटेन ने कहा था कि वह भारतीय वैक्सीन लगाए लोगों को 'बिना टीका लगाए हुए' मानेगा। जब उस पर सवाल उठे तो ब्रिटेन के अधिकारियों ने कहा था कि दिक्कत टीका में नहीं है, बल्कि कोरोना सर्टिफ़िकेट में है।
अब भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त एलेक्स एलिस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया है, 'यूके जाने वाले कोविशील्ड या यूके द्वारा अनुमोदित किसी अन्य वैक्सीन के साथ पूरी तरह से टीका लगाए भारतीय यात्रियों के लिए 11 अक्टूबर से कोई क्वारंटीन नहीं। पिछले महीने भर से सहयोग के लिए भारत सरकार का धन्यवाद।'
No quarantine for Indian 🇮🇳 travellers to UK 🇬🇧 fully vaccinated with Covishield or another UK-approved vaccine from 11 October.
— Alex Ellis (@AlexWEllis) October 7, 2021
Thanks to Indian government for close cooperation over last month. pic.twitter.com/cbI8Gqp0Qt
भारत को ब्रिटेन के उन देशों और क्षेत्रों की सूची में 11 अक्टूबर को सुबह 4 बजे शामिल किया जाएगा, जिसमें टीकाकरण के प्रमाण पत्रों को मंजूर किया गया है।
इसका मतलब है कि 11 अक्टूबर से पहले ब्रिटेन पहुंचने वाले पूरी तरह टीका लगाए भारतीयों को क्वारंटीन जैसी दूसरी पाबंदियों से गुजरना होगा। ये नियम उन लोगों को पालन करना होता है जिनका पूरी तरह से टीकाकरण नहीं हुआ है। वहीं, 11 अक्टूबर के बाद आने वाले ऐसे लोग अपने टीकाकरण की स्थिति साबित करने और क्वारंटीन से बचने के लिए अपना टीकाकरण प्रमाण पत्र दिखा सकते हैं।
इससे पहले जब ब्रिटेन ने पूरी तरह टीके लगाए भारतीयों को नये यात्रा नियमों में छूट देने से इनकार कर दिया था तब भारत में जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई थी।
भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला ने कहा था कि कोविशील्ड को मान्यता नहीं देना एक भेदभावपूर्ण नीति है और यूके की यात्रा करने वाले हमारे नागरिकों को प्रभावित करती है।
इस पर नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने एक लंबा-चौड़ा लेख लिखकर ब्रिटेन सरकार की तीखी आलोचना भी की थी। उन्होंने उस लेख का शीर्षक ही दिया था- स्मॉल माइंडेड ग्रेट ब्रिटेन' यानी 'संकुचित दिमाग़ का ब्रिटेन'।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया था, 'कोविशील्ड को मूल रूप से यूके में विकसित किया गया था और सीरम इंस्टीट्यूट पुणे ने उस देश को भी आपूर्ति की है, यह देखते हुए बिल्कुल विचित्र है! इससे नस्लभेद की बू आती है।'
आनंद शर्मा ने तो ट्वीट किया था, 'पूरी तरह से टीका लगाए गए भारतीयों को मान्यता नहीं देने का यूके सरकार का निर्णय भेदभावपूर्ण, नस्लभेदी है और इसकी कड़ी निंदा की जानी चाहिए। कोविशील्ड यूके में एस्ट्राजेनेका के समान है और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा लाइसेंस के तहत निर्मित और यूके सहित यूरोपीय देशों को निर्यात किया जाता है।'
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