राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बुधवार रात को 10 राज्यों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई के कई ठिकानों पर छापेमारी की है। इस दौरान बड़ी संख्या में पीएफआई के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। यह छापेमारी उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना आदि राज्यों में हुई है।
पीएफआई के सदस्यों ने छापेमारी के विरोध में कई जगहों पर जोरदार प्रदर्शन भी किया है। पीएफआई ने कहा है कि वह छापेमारी का जोरदार विरोध करता है। छापेमारी में जांच एजेंसी ईडी भी शामिल है।
इंडिया टुडे के मुताबिक, 10 राज्यों से पीएफआई के 100 से ज़्यादा कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की गई है और गृह मंत्रालय इस पूरे ऑपरेशन पर नजर रख रहा है। इसे एनआईए का अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन बताया जा रहा है।
छापेमारी के दौरान पीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओएमए सलाम को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। आंध्र प्रदेश में पीएफआई और एसडीपीआई से जुड़े कार्यकर्ताओं ने एनआईए गो बैक के नारे लगाए हैं। एनआईए ने हैदराबाद में पीएफआई के मुख्य दफ्तर को सील कर दिया है।
अब तक आंध्र प्रदेश से पांच, असम से नौ, महाराष्ट्र से 20, पुडुचेरी से तीन, राजस्थान से दो, मध्य प्रदेश से चार, दिल्ली से तीन, उत्तर प्रदेश से आठ, आंध्र प्रदेश से पांच, कर्नाटक से 20 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया जा चुका है।
उधर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस ऑपरेशन के दौरान ही एनएसए के तमाम बड़े अफसरों के साथ बैठक की है।
एनआईए के द्वारा छापेमारी की सूचना मिलने पर पीएफआई और एसडीपीआई के कार्यकर्ताओं ने कर्नाटक के बेंगलुरु में प्रदर्शन किया। इसके अलावा तमिलनाडु में भी कुछ जगहों पर पीएफआई के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे हैं।
पीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष के केरल के मल्लापुरम जिले में स्थित घर और दफ्तर पर बुधवार रात को छापा मारा गया। एनआईए ने तमिलनाडु में मदुरै, थेनी, डिंडीगुल, रामनाथपुरम, कुड्डालोर, थिरुनेलवेली और तेनकासी में कई जगहों पर छापेमारी की है।
पिछले कुछ दिनों में एनआईए ने पीएफआई से जुड़े लोगों के खिलाफ दर्जन भर से ज्यादा मुकदमे दर्ज किए हैं। 18 सितंबर को भी एनआईए ने आंध्र प्रदेश में 23 जगहों पर छापेमारी की थी और पीएफआई के कार्यकर्ताओं से पूछताछ की गई थी। तेलंगाना के निजामाबाद, कुरनूल, गुंटूर और नेल्लोर जिलों में एनआईए के अफसरों ने छापेमारी की थी।
पीएफआई ने छापेमारी पर कहा है कि यह फासीवादी सरकार द्वारा एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर असहमति की आवाज को दबाने की कोशिश है और वह इसका जोरदार विरोध करता है।
क्या करता है पीएफआई?
पीएफआई का वर्तमान में 12 राज्यों में व्यापक संगठन है और 23 राज्यों में सक्रियता है। पीएफआई का दावा है कि वह मुसलिम कल्याण के साथ-साथ मानवाधिकारों के लिए भी काम करता है। मगर दूसरी तरफ़ ख़ुफ़िया एजेंसियों का कहना है कि यह सिर्फ दिखावा है। 2020 में दिल्ली में हुए दंगों के मामले में पीएफआई का नाम आया था। उससे पहले सीएए के खिलाफ हुए आंदोलनों में भी पीएफआई का हाथ होने की बात उत्तर प्रदेश पुलिस ने कही थी।
बीजेपी नेता नूपुर शर्मा के बयान के बाद कानपुर में हुई सांप्रदायिक हिंसा के मामले में भी पीएफआई का नाम सामने आया था।
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