कहा जाता है कि आम इंसान कोई भी मुसीबत पड़ने पर सबसे पहले पुलिस के पास जाता है क्योंकि उसे उम्मीद होती है कि थाने, चौकी में उसकी बात सुनी जाएगी और उसे इंसाफ़ मिलेगा। लेकिन ऐसी स्थिति में क्या होगा जब पुलिसकर्मी ही किसी एक समुदाय के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित हों और यह मान बैठे हों कि उस समुदाय के लोग स्वाभाविक रूप से अपराधी होते हैं या उनके अपराधी होने की संभावना ज़्यादा होती है। ऐसे में उस समुदाय के व्यक्ति को तो न्याय मिलना बेहद मुश्किल हो जायेगा।
रिपोर्ट: 50 फ़ीसदी पुलिसवाले मुसलमानों को मानते हैं अपराधी
- देश
- |
- 28 Aug, 2019
रिपोर्ट के मुताबिक़, देश में हर दो में से एक पुलिसकर्मी को यह लगता है कि मुसलमानों के अपराधी होने की संभावना स्वाभाविक रूप से ज़्यादा होती है।
