गलवान में भारत और चीन के सैनिकों के बीच जून के महीने में हुई खूनी झड़प के बाद से ही हिंदुस्तान का माहौल बेहद संवेदनशील है। इस झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। लोग चाहते हैं कि चीन को उसकी इस नापाक हरक़त का मुंहतोड़ जवाब दिया जाए और भारतीय सेना मुस्तैदी से वतन के वास्ते अपने फर्ज को निभा भी रही है।
पैंगोंग त्सो, देपसांग और बाक़ी इलाक़ों में क्या सूरत-ए-हाल है, यह भारत का हर शख़्स जानना चाहता है। ऐसे वक्त में न्यूज़ चैनलों से यह उम्मीद की जाती है कि वे सही तसवीर को सामने रखेंगे। लेकिन चैनल जब किसी दूसरे वीडियो या दूसरी तसवीरों को किसी और घटना का बताकर चलाएंगे तो पहले से ही ख़तरे के निशान से नीचे जा चुकी उनकी विश्वसनीयता हमेशा के लिए ख़त्म हो सकती है।
कुछ ऐसा ही बीते दिनों हुआ जब गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के मारे जाने की ख़बर एक दूसरे वीडियो से जोड़कर दिखा दी गई। और छाती ठोककर यह दावा भी किया गया कि ये गलवान में मारे गए चीन सैनिकों की कब्रें हैं। लेकिन वायरल ख़बरों की पड़ताल करने वाली वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ ने जब इसका खुलासा किया तो देश के नामचीन चैनलों द्वारा बोला गया झूठ सामने आ गया। यहां बता दें कि यह ख़बर ऑल्ट न्यूज़ से साभार ली गई है।
इंडिया टुडे ग्रुप के हिन्दी चैनल आज तक पर यह ख़बर चली और दावा किया गया कि ये गलवान में मारे गए चीनी सैनिकों की क्रबें हैं।
इस ग्रुप के अंग्रेजी न्यूज़ चैनल इंडिया टुडे ने भी चीनी सैनिकों की इन कब्रों की सैटेलाइट तसवीरों को दिखाया और कहा कि ये गलवान में हुई झड़प में मारे गए चीनी सैनिकों की कब्रें हैं। इसके बाद बीजेपी ने इसका प्रचार शुरू कर दिया।
इसके बाद बारी आई टाइम्स नाऊ की। टाइम्स नाऊ के एंकर राहुल शिवशंकर ने राहुल गांधी समेत विपक्ष के कुछ नेताओं पर हमला बोलते हुए कहा कि इन लोगों को भारतीय सेना के शौर्य पर शक करने के लिए माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने भी दावा किया कि गलवान में 106 चीनी सैनिक मारे गए और ये उनकी कब्रें हैं।
What ‘sold out China lobby’ buried. Photos of 106 PLA tombstones reveal extent of Chinese casualties in June 15 Galwan clash.
— TIMES NOW (@TimesNow) August 31, 2020
PM Modi was right about Galwan grit, pro-China lobby ‘doubted’ India.
Rahul Shivshankar on INDIA UPFRONT. | Tweet with #IndiaCrushChinaLobby pic.twitter.com/q6ixlnxlDe
इसके अलावा न्यूज़ एक्स, एबीपी न्यूज और कुछ अन्य चैनलों ने भी इन तसवीरों और वीडियो को चलाया और ऐसे ही दावे किए।
दावों के बाद बारी थी इनकी पड़ताल की। ऑल्ट न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि ये सभी तसवीरें कांग्सीवा कस्बे में स्थित चीनी सैन्य कब्रिस्तान की हैं और यहां 1962 के भारतीय-चीन युद्ध में शहीद हुए पीएलए सैनिकों की कब्रें हैं।
ऑल्ट न्यूज़ ने गूगल अर्थ फ़ोटो तकनीक का इस्तेमाल कर बताया है कि इंडिया टुडे द्वारा चलाई गई तसवीरें 2011 की हैं और यह भी पता चला है कि ये 105 कब्रें हैं।
ऑल्ट न्यूज़ ने कहा है कि चीनी रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर अप्रैल, 2020 में अपलोड एक डॉक्यूमेंट के मुताबिक़, कांग्सीवा युद्ध स्मारक में दफन किए गए सैनिकों की कुल संख्या 108 है। यानी जून में गलवान में भारत-चीन सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प से पहले ही वहां ये कब्रें थीं। तसवीरों में कुछ नई कब्रें भी दिखाई गई हैं लेकिन यह नहीं पता चल सका है कि ये कब बनी हैं लेकिन यह तय है कि ये 2011 के बाद ही बनी हैं।
24 अगस्त को चीनी सेना ने एक वीडियो शेयर किया जिसमें सेना के अधिकारी वॉर मैमोरियल गए थे। चीनी सेना की ओर से वीडियो में कहा गया था कि वॉर मैमोरियल में 108 कब्रें हैं। इस वीडियो को ही तमाम चैनलों ने गलवान में मारे गए चीनी सैनिकों की कब्रों से जोड़कर बता दिया।
इसलिए आज तक, इंडिया टुडे और दूसरे न्यूज़ चैनलों की ओर से चलाई गई तसवीरों को गलवान में मारे गए चीनी सैनिकों की कब्र कहना ग़लत साबित हुआ है।
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