हिंदी को अनिवार्य किए जाने की आशंका को लेकर जो विवाद हाल में उठा है उस पर अब उत्तर पूर्वी राज्यों से तीखी प्रतिक्रिया आई है। ऐसी ही प्रतिक्रिया तमिलनाडु में भी आई है और हिंदी को थोपे जाने का विरोध खुद राज्य में बीजेपी के अध्यक्ष ने ही किया है।
हिंदी पर शाह को उत्तर पूर्व से चुनौती; तमिलनाडु बीजेपी का विरोध क्यों?
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- 13 Apr, 2022
हिंदी को लेकर फिर से विवाद क्यों बढ़ा है? क्या केंद्रीय गृहमंत्री उत्तर पूर्व के राज्यों में हिंदी को अनिवार्य करेंगे और तमिलनाडु बीजेपी हिंदी थोपे जाने पर कैसा प्रतिक्रिया देगी?

उत्तर पूर्व छात्र संगठन यानी एनईएसओ ने इस क्षेत्र में कक्षा 10 तक हिंदी को अनिवार्य विषय बनाने के केंद्र के फ़ैसले पर नाराज़गी जताई है। उसने कहा है कि यह क़दम स्वदेशी भाषाओं के लिए हानिकारक होगा और इससे असामंजस्य बढ़ेगा। एनईएसओ आठ छात्र संगठनों का एक समूह है। उसने गृहमंत्री अमित शाह को एक चिट्ठी लिखी है और उन्हें अपने फ़ैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कहा है। अमित शाह ने 7 अप्रैल को नई दिल्ली में संसदीय राजभाषा समिति की बैठक में कहा था कि सभी पूर्वोत्तर राज्य 10वीं कक्षा तक के स्कूलों में हिंदी अनिवार्य करने पर सहमत हो गए हैं।