मेडिकल एंट्रेंस नीट के खिलाफ देश में माहौल बनता जा रहा है। मोदी सरकार ने संसद के दोनों सदनों में इस पर शुक्रवार को बहस नहीं होने दी। नेता विपक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा में पीएम मोदी को इस चर्चा में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया लेकिन स्पीकर ने फौरन सदन को ही स्थगित कर दिया। दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने भी खुलकर नीट को खत्म करने की मांग कर दी है। ममता से पहले डीएमके और एमके स्टालिन भी ऐसी ही मांग कर चुके हैं।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) परीक्षा के संबंध में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा। सीएम ने पीएम से नीट को खत्म करने और राज्य सरकारों द्वारा इस परीक्षा को आयोजित करने की पिछली प्रणाली को बहाल करने का आग्रह किया।
नीट के खिलाफ लगभग एक महीने से देश के कोने-कोने में प्रदर्शन हो रहे हैं। गुरुवार को कुछ युवक एनटीए के दफ्तर में घुस गए और वहां प्रदर्शन किया। बिहार और गुजरात पुलिस ने इस संबंध में कुछ गिरफ्तारियां भी की हैं। बाद में यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। सीबीआई ने भी कुछ गिरफ्तारियां की हैं।
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ममता ने अपने पत्र में पीएम मोदी को लिखा है- "मैं नीट परीक्षा से जुड़े हालिया घटनाक्रम के संबंध में आपको लिखने के लिए बाध्य हूं। पेपर लीक के आरोप, परीक्षा के संचालन में शामिल कुछ लोगों और अधिकारियों द्वारा रिश्वत लेने, कुछ छात्रों को परीक्षाओं के लिए आवेदन करने के लिए समायोजित करना, ग्रेस मार्क्स देना आदि कुछ गंभीर मुद्दे हैं जिन पर पूरा ध्यान देने की जरूरत है। ऐसे मामलों की गहन, स्वच्छ और निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है।
ममता ने लिखा है- "ऐसे उदाहरण न सिर्फ देश में मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता करते हैं बल्कि देश में मेडिकल सुविधाओं और इलाज की गुणवत्ता पर उल्टा प्रभाव डालते हैं। इस संबंध में, यह भी बताना है कि 2017 से पहले, राज्यों को अपना स्वयं की एंट्रेंस परीक्षा करने की अनुमति थी। केंद्र सरकार की भी मेडिकल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए अपनी परीक्षाएँ आयोजित होती थी। यह प्रणाली सुचारू रूप से और कई समस्याओं के बिना कार्य कर रही थी।"
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में इस बात पर रोशनी डाली है कि विकेंद्रीकृत (डिसेंट्रलाइज्ड) प्रणाली को बाद में केंद्रीकृत (सेंट्रलाइज्ड) परीक्षा प्रणाली नीट में बदल दिया गया ताकि राज्य की भागीदारी के बिना मेडिकल पाठ्यक्रमों में देश में सभी प्रवेशों पर पूर्ण नियंत्रण हो सके।
ममता ने पीएम मोदी से कहा कि "यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है और देश के संघीय ढांचे की सच्ची भावना का उल्लंघन करता है। इसके अलावा, वर्तमान प्रणाली ने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार को जन्म दिया है, जिससे केवल अमीरों को लाभ होता है जो पैसे दे सकते हैं, जबकि गरीब और मध्यम वर्ग के मेधावी छात्र सबसे बड़े पीड़ित हैं।''
सीएम ममता ने अपने पत्र के अंत में कहा कि वह केंद्र से राज्य सरकारों द्वारा इस परीक्षा के संचालन की पिछली प्रणाली को बहाल करने और नीट परीक्षा को खत्म करने के लिए विचार करने और फौरन कदम उठाने का "दृढ़ता से" आग्रह करती हैं। उन्होंने कहा, "इससे सिस्टम में छात्रों का विश्वास बहाल करने में मदद मिलेगी।"
नीट-यूजी और यूजीसी-नेट परीक्षाओं पर विवाद के बीच, सीबीआई ने रविवार को एनटीए द्वारा परीक्षा के संचालन में कथित अनियमितताओं को लेकर आपराधिक मामला दर्ज किया और जांच के लिए विशेष टीमों का गठन किया। सीबीआई की एफआईआर के अनुसार, 5 मई, 2024 को आयोजित NEET (UG) 2024 परीक्षा के आयोजन के दौरान कुछ राज्यों में कुछ पेपर लीक की "अलग-अलग घटनाएं" हुईं।
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एनटीए ने NEET (UG) 2024 परीक्षा 5 मई को 571 शहरों में 4,750 केंद्रों पर आयोजित की थी, जिसमें विदेश के 14 शहर भी शामिल थे। करीब 24 लाख से अधिक उम्मीदवार परीक्षा में शामिल हुए थे।
अभूतपूर्व रूप से 67 उम्मीदवारों ने 720 में से 720 अंक का पूर्ण स्कोर हासिल किया, जिसके कारण देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ। जिस तरह से नीट का नतीजा घोषित हुआ, उस पर भी विवाद हुआ। एनटीए और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान लगातार यह दावा करते रहे थे कि नीट पेपर लीक नहीं हुआ और न कोई गड़बड़ी हुई। सुप्रीम कोर्ट 8 जुलाई से इस मामले की सुनवाई करने वाला है।
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