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भारत के लोग इजराइल के साथ मजबूती से खड़े हैं: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इज़राइल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू की मंगलवार को फोन पर बातचीत हुई। इजराइल-हमास के बीच चल रहे युद्ध के बीच पीएम मोदी ने कहा कि भारत आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा करता है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भारत इज़राइल के साथ खड़ा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'नेतन्याहू से फोन पर बात हुई। उन्होंने मौजूदा स्थिति पर अपडेट जानकारी दी। भारत के लोग इस कठिन समय में इजराइल के साथ मजबूती से खड़े हैं। भारत आतंकवाद के सभी रूपों और उसकी गतिविधियों की मज़बूती से और साफ़ तौर पर निंदा करता है।'

इससे पहले की प्रतिक्रिया में प्रधानमंत्री ने कहा था कि वह 'इजराइल में आतंकवादी हमलों की खबर से सदमे' में हैं। उन्होंने कहा था कि भारत इस कठिन समय में इजराइल के साथ एकजुटता के साथ खड़ा है।

भारत की ओर से इज़राइल का समर्थन देना काफ़ी अहम है, क्योंकि इसने शुरुआत से ही फिलिस्तीन के मुद्दे का समर्थन किया है। 1947 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन के विभाजन के खिलाफ मतदान किया था। फिलिस्तीन के नेता यासर अराफात कई बार भारत आए। उनके इंदिरा गांधी से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी तक के नेताओं से अच्छे संबंध रहे। 1999 में तो फिलिस्तीनी नेता यासर अराफात तत्कालीन पीएम वाजपेयी के घर पर उनसे मिले थे।

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2015 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, 2012 में तत्कालीन विदेश मंत्री एस एम कृष्णा, 2000 में तत्कालीन गृहमंत्री एल के आडवाणी और तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने फिलिस्तीन का दौरा किया था। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने 2018 में पहली बार फिलिस्तीन की ऐतिहासिक यात्रा की थी। उनसे पहले 2016 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और तत्कालीन विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर भी फिलिस्तीन गए थे।
हाल के दिनों में भारत की नीति इज़राइल की तरफ़ झुकी हुई दिखती है। पीएम मोदी के कार्यकाल के दौरान इज़राइल के साथ संबंध बेहद घनिष्ठ हुए हैं।

इसी बीच हमास का हमला हुआ। युद्ध ऐसे समय में हुआ है जब भारत मध्य पूर्व में एक बड़ी भूमिका निभाने के लिए खुद को तैयार कर रहा है, और अब उसे एक कठिन राजनयिक स्थिति से निपटना होगा।

इज़राइल पर हमास के हमले के बाद 7 अक्टूबर को शुरू हुआ संघर्ष मंगलवार को चौथे दिन भी जारी रहा। अब तक दोनों पक्षों के 1,600 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। इज़राइल में कम से कम 900 लोग मारे गए हैं और 2,600 घायल हुए हैं। ग़ज़ा में स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इजरायली हवाई हमलों में 143 बच्चों और 105 महिलाओं सहित 704 लोग मारे गए हैं और 4,000 से अधिक घायल हुए हैं।

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नेतन्याहू ने मंगलवार को दिन में कहा था कि इजराइल ने युद्ध की शुरुआत नहीं की है, लेकिन ख़त्म ज़रूर करेगा। उन्होंने कहा, 'हम यह युद्ध नहीं चाहते थे। यह हम पर सबसे क्रूर तरीके से थोपा गया। मेरे देश ने इस युद्ध को शुरू नहीं किया है, लेकिन इसे खत्म कर देगा।'

अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और इटली ने एक संयुक्त बयान जारी कर इज़राइल के लिए अपना समर्थन जताया है और साफ़ तौर पर हमास की निंदा की है। मध्य पूर्व के कई देशों ने मौजूदा स्थिति के लिए इज़राइल को दोषी ठहराया है। भारत ने हमास के हमले को 'आतंकी हमला' क़रार देते हुए इसकी निंदा की है। यानी सरकार की यह प्रतिक्रिया 'आतंकी हमले' पर है न कि देश के तौर पर फिलीस्तीन को लेकर। 

फिलीस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास हैं जिनके नियंत्रण में वेस्ट बैंक है। ग़ज़ा हमास के नियंत्रण में है। फिलीस्तीन के अधिकारी मानते हैं कि हमास ने जो कुछ किया वह उसकी प्रतिक्रिया में है जो इजराइल वेस्ट बैंक में कर रहा है। फिलीस्तीन के राजदूत ने एनडीटीवी से कहा है कि फिलिस्तीन नागरिकों की हत्या के खिलाफ है और उन्होंने शांतिपूर्ण समाधान खोजने में मदद के लिए भारत के हस्तक्षेप की अपील की। उन्होंने कहा है कि भारत दोनों का मित्र है, हम चाहते हैं कि भारत हस्तक्षेप करे और बातचीत में हमारी मदद करे।

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क़मर वहीद नक़वी
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