केंद्र ने वर्ष 1997 में सबसे बड़े उग्रवादी संगठन नेशनल सोशलिस्ट कौंसिल आफ नागालैंड (एनएससीएन) के इसाक-मुइवा गुटऔर कुछ अन्य नागा संगठनों के साथ यह प्रक्रिया शुरू की थी। लेकिन नौ दिन चले अढाई कोस की तर्ज पर अब तक यह किसी मुकाम तक नहीं पहुंच सकी है। शुरुआती दौर में पूर्वोत्तर में शांति बहाली के माडल के तौर पर देखी जाने वाली इस प्रक्रिया का फिलहाल कोई ओर-छोर ही नजर नहीं आ रहा है। एनएससीएन के इसाज मुइवा गुट ने अब करीब तीन साल से ठप पड़ी इस बातचीत को एक बार फिर शुरू करने का संकेत दिया है। लेकिन मूल सवाल जस का तस है कि क्या इस बातचीत से  समझौते की राह खुलेगी?