अरबपति नादिर गोदरेज ने कहा है कि हमें 'देश को बाँटना बंद करना चाहिए'। उन्होंने इस दिशा में कुछ करने के लिए सरकार और इसके साथ ही उद्योग जगत से और अधिक करने का आग्रह किया है। गोदरेज इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और एमडी नादिर गोदरेज की यह प्रतिक्रिया तब आई है जब आरोप लगते रहे हैं कि देश में नफ़रत का माहौल बनाया जा रहा है और देश को बांटने की कोशिश हो रही है।
गोदरेज की यह टिप्पणी इस सप्ताह की शुरुआत में एक किताब के विमोचन के मौक़े पर आई है। उन्होंने पीटीआई से कहा, 'हम आर्थिक मोर्चे पर अच्छा कर रहे हैं और कल्याणकारी उपाय भी कर रहे हैं। लेकिन देश को एक करने के प्रयास किए जाने चाहिए।' उन्होंने कहा कि वह और अधिक अभिव्यक्ति की आज़ादी देखना चाहेंगे जहां राज्य के ताक़तवर हाथ नहीं पहुंच पाएँ और विरोध करने वाली आवाजों को कुचल न दें।'
जैसी टिप्पणी गोदरेज ने की है वैसी टिप्पणियाँ उद्योगपतियों में दुर्लभ मानी जाती हैं। हालाँकि इससे पहले दिवंगत राहुल बजाज ने भी 2019 में ऐसी टिप्पणी की थी। तब वह काफ़ी चर्चा में रहे थे। दिसंबर 2019 की बात है। मुंबई में ‘द इकनॉमिक टाइम्स’ के एक कार्यक्रम में राहुल बजाज ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और पीयूष गोयल के सामने कई बातों को रखा था। बजाज ने केंद्र सरकार की आलोचना करने को लेकर कारोबारियों में डर होने, लिंचिंग के मामलों में प्रभावी कार्रवाई न होने और भोपाल से बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के बापू के हत्यारे गोडसे को देशभक्त कहने के मामले को भी उठाया था।
तब बजाज ने कहा था, ‘हमारे उद्योगपति दोस्तों में से कोई नहीं बोलेगा, लेकिन मैं खुलकर बोलूंगा, एक माहौल बनाना होगा…जब यूपीए 2 केंद्र की सत्ता में थी तब हम किसी की भी आलोचना कर सकते थे, आप (सरकार) अच्छा काम कर रहे हैं, उसके बाद भी हम आपकी खुलकर आलोचना करें, यह कॉन्फिडेंस नहीं है कि आप इसे एप्रीशियट करेंगे।’ कार्यक्रम में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन मुकेश अंबानी, आदित्य बिरला ग्रुप के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला और भारती एंटरप्राइजेस के सुनील भारती मित्तल भी मौजूद थे।
उससे छह महीने पहले जुलाई 2019 में भी बजाज ऑटो के अध्यक्ष राहुल बजाज ने केंद्र सरकार की तीखी आलोचना की थी। तब बजाज ने देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति को लेकर कहा था, 'सरकार चाहे जो कुछ कहे, सच यह है कि बीते तीन साल से लगातार विकास कम हो रहा है। सरकार यह कहे या न कहे, पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक ने यह साफ़ संकेत दे दिया है कि पिछले तीन-चार साल में विकास की दर में कमी आई है। किसी भी सरकार की तरह ये लोग भी खुशनुमा चेहरा दिखा सकते हैं, पर जो सच है वह है।'
अब इसी क्रम में गोदरेज इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक गोदरेज की टिप्पणी आई है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार गोदरेज ने कहा, '... मुझे लगता है कि हमें देश को एकजुट करने और देश को विभाजित करने से रोकने की कोशिश करने की ज़रूरत है। मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है और मुझे यक़ीन है कि सरकार भी समझती है कि आर्थिक विकास की आवश्यकता है, और हमें उस पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।'
रिपोर्ट के अनुसार यह पूछे जाने पर कि क्या उद्योग को भी इस मोर्चे पर और अधिक करने की ज़रूरत है, उन्होंने कहा, 'बेशक, उद्योग को यथासंभव समावेशी होने की कोशिश करके चीजों को भी करने की कोशिश करनी चाहिए और सरकार को और भी करना चाहिए।'
उन्होंने साफ़ किया कि हमें एक ऐसी जगह बनाने की जरूरत है जहां 'सक्रिय बहस पनपती और बढ़ती है, जहां विचारों की जीत होती है'।
गोदरेज ने कहा कि हमारे विचारों को मानवीय होना चाहिए, न कि सांप्रदायिक। उन्होंने कहा कि खुश होने के कई कारण हैं, लेकिन कभी-कभी डर होता है कि चीजें पटरी पर नहीं हैं और हम पीछे भी जा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि हमें मजबूत संस्थानों की जरूरत है, उन्हें बनाने में लंबा समय लगता है, जबकि उन्हें जल्दी से तोड़ा जा सकता है।
नादिर के बड़े भाई और व्यवसाय को चलाने वाले पूर्ववर्ती आदि गोदरेज ने भी 2019 में चेतावनी दी थी कि बढ़ती असहिष्णुता और घृणा अपराध विकास को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं।
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