भारत में कोरोना संक्रमित लोगों में ज़्यादातर यानी 83 प्रतिशत से अधिक लोग 60 साल से कम उम्र के हैं। कोरोना रोगियों में सबसे ज़्यादा यानी 41 प्रतिशत लोग 21 से 40 साल के बीच की उम्र के हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के आँकड़ों से यह स्थिति साफ़ होती है।
ट्रेंड के उलट
कोरोना के बारे में यह कहा जाता है कि इसकी चपेट में ज़्यादातर बूढ़े ही आते हैं, पर इसके उलट भारत में कोरोना की चपेट में आए लोगों में सिर्फ 17 प्रतिशत लोग ही ऐसे हैं जिनकी उम्र 60 साल से ऊपर है।
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इससे यह भी स्पष्ट होता है कि 21-40 की उम्र के जो लोग इसकी चपेट में आए हैं, वे वैसे लोग हैं जो ख़ुद विदेशों से आए या वहां से आए लोगों के संपर्क में आए हैं। इनमें छात्र और पेशेवेर लोग भी हैं, जो दूसरे देशों से भारत लौटे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना से मरने वालों में बूढ़े ही अधिक हैं। कोरोना से मरने वालों में वे लोग अधिक है, जिन्हें पहले से ही डायबिटीज़, दिल की बीमारी या हाई ब्लड प्रेशर था।
स्वास्थ्य विभाग के आँकड़ों के अनुसार, 20 साल तक की उम्र के सिर्फ़ 8.61 प्रतिशत कोरोना से प्रभावित हुए। कोरोना की चपेट में आए लोगों में 41.88 प्रतिशत लोग 21 से 40 की बीच के उम्र के हैं। इसके अलावा संक्रमित लोगों में 16.69 प्रतिशत लोग 41-60 के बीच की उम्र के हैं।
स्वास्थ्य विभाग के आँकड़ों से यह भी पता चलता है कि जो 58 बेहद गंभीर मामले पाए गए, उनमें से ज़्यादातर केरल, मध्य प्रदेश और दिल्ली के हैं।
क्या कहना है सरकार का?
स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा है कि मरने वालों में अधिकतर लोग बुजुर्ग थे और उन्हें डायबिटीज़, गुर्दा रोग या हृदय रोग था। इसलिए ऐसे लोग जो इस जोख़िम वाली श्रेणी में आते हैं, उन्हें अधिक सावधान रहने की ज़रूरत है।उन्होंने इसके आगे कहा, ‘हम एक बहुत ही संक्रामक और छूआछूत से फैलने वाले रोग से निपट रहे हैं। हम इससे प्रतिदिन ही लड़ रहे हैं। इसके बावजूद भारत में संक्रमण से प्रभावित होने वाले लोगों की तादाद दूनी होने की रफ़्तार दूसरे देशों से कम है।’ क्या यह राहत की बात है या तूफ़ान के आने के पहले की शांति है?
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