जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने आरोप लगाया है कि पुलवामा आतंकी घटना पर प्रधानमंत्री ने उन्हें "तुम अभी चुप रहो" कहकर चुप करा दिया था। यह बात पीएम मोदी ने तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक से तब कही, जब उन्होंने पुलवामा हमले में केंद्रीय एजेंसियों की लापरवाही के बारे में एक रिपोर्ट भेजी थी। सत्यपाल मलिक ने यह बात प्रसिद्ध पत्रकार करण थापर को दिए गए इंटरव्यू में कही। इस इंटरव्यू को द वायर पोर्टल पर देखा जा सकता है। इंटरव्यू प्रकाशित होने के बाद द टेलीग्राफ ने इस मुद्दे पर पीएमओ का पक्ष जानने के लिए संपर्क किया लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं दिया गया।
करण थापर के साथ इंटरव्यू में मलिक ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री को "भ्रष्टाचार से बहुत नफरत नहीं है" और उन्हें "सही जानकारी" भी नहीं है।
सत्यपाल मलिक ने द वायर के इंटरव्यू में फरवरी 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर बमबारी के बारे में कई बातें कहीं। पुलवामा हमले में 40 सीआरपीएफ जवान मारे गए था। भाजपा ने इसे चुनावी मुद्दे में बदल दिया। सत्यपाल मलिक ने इंटरव्यू में कहा -
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सीआरपीएफ के लोगों ने अपने जवानों को ले जाने के लिए विमान मांगा था, क्योंकि इतना बड़ा काफिला कभी सड़क मार्ग से नहीं जाता…। मैंने गृह मंत्रालय से पूछा... उन्होंने विमान देने से इनकार कर दिया... जबकि सीआरपीएफ को सिर्फ पांच विमानों की जरूरत थी, उन्हें विमान नहीं दिया गया।
-सत्यपाल मलिक, पूर्व राज्यपाल, 14 अप्रैल 2023, सोर्सः द वायर
14 फरवरी, 2019 की शाम को याद करते हुए सत्यपाल मलिक ने कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें उत्तराखंड के कॉर्बेट नेशनल पार्क के बाहर से फोन किया था। मैंने इसे उसी शाम पीएम को बताया था कि यह हमारी (सरकार की) गलती है। अगर हम विमान देते तो ऐसा नहीं होता। उन्होंने मुझसे कहा, 'तुम अभी चुप रहो...। हालांकि मैंने पहले ही कुछ चैनलों से यह बात कही थी। इसलिए पीएम ने कहा- ये सब मत बोलो, ये कोई और चीज है। मलिक ने कहा -
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इसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी मुझसे कहा- ये सब मत बोलिए। आप चुप रहो । यह सब मत कहिए। चुप रहिए .... मुझे लग गया था कि अब ये सारा मामला पाकिस्तान की तरफ जाना है। मुझे एहसास हुआ कि पाकिस्तान पर जिम्मेदारी डाली जा रही थी, इसलिए ' चुप रहो' कहा जा रहा है।
-सत्यपाल मलिक, पूर्व राज्यपाल, 14 अप्रैल 2023, सोर्सः द वायर
सत्यपाल मलिक ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और सीआरपीएफ पर आरोप लगाते हुए कहा कि जिस राजमार्ग से काफिला जा रहा था, वहां जाने वाली किसी भी सड़क को अवरुद्ध नहीं किया गया था। पूर्व राज्यपाल मलिक ने कहा: यह 100 फीसदी खुफिया विफलता थी। करीब 300 किलोग्राम विस्फोटक से लदी कार (जो काफिले से टकराई थी) बमबारी से पहले 10-12 दिनों तक इलाके के गांवों में घूमती रही और खुफिया एजेंसियों को उसका पता तक नहीं चला था। जबकि इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक केवल पाकिस्तान से ही आ सकते थे। ये सुरक्षा चूक उन मौतों के लिए जिम्मेदार हैं।
सत्यपाल मलिक ने यह भी कहा कि उन्हें मोदी सरकार की राज्य का विशेष दर्जा खत्म करने की योजना के बारे में पहले से नहीं बताया गया था, लेकिन उन्हें पता था कि यह होने वाला है क्योंकि यह एजेंडे में था और इसके बारे में बात की गई थी।
मलिक ने कहा- धारा 370 के तहत विशेष दर्जे को खत्म करने से ठीक एक दिन पहले, मुझे गृह मंत्री का फोन आया, जिन्होंने कहा कि वह मुझे एक पत्र भेज रहे हैं, जिसे पारित किया जाना चाहिए और अगले दिन सुबह 11 बजे से पहले भेज दीजिए।
पुलवामा में इसी जगह सीआरपीएफ के काफिले पर हमला हुआ था।
मलिक ने कहा कि अगर उनसे सलाह ली जाती तो वह जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की सलाह देते। उन्होंने अनुमान लगाया कि ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि केंद्र को विद्रोह का डर था और वो पुलिस को अपने नियंत्रण में चाहती थी।
मलिक ने कहा कि जब मैंने मुख्य सचिव को पत्र (गृह मंत्री के) के बारे में बताया, तो उन्होंने भी पुलिस विद्रोह की आशंका जताई।… मैंने कहा, 'चिंता मत करो, मैंने छह महीने काम किया है। मुझे विश्वास है कि कुत्ता भी नहीं भौंकेगा...। मलिक ने कहा-
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मैंने 2018 में पीएम मोदी के साथ कश्मीर पर अपनी चर्चा के दौरान पाया कि प्रधानमंत्री के पास तमाम "गलत जानकारी" थी। जबकि मोदी पहले ही प्रधानमंत्री पद पर चार साल बिता चुके थे।
-सत्यपाल मलिक, पूर्व राज्यपाल, 14 अप्रैल 2023, सोर्सः द वायर
इंटरव्यू में मलिक ने एलआईसी सौदे और एक बिजली परियोजना में भ्रष्टाचार के बारे में पहले लगाए गए आरोपों को दोहराया, जिसे उन्होंने राज्यपाल के रूप में रोक दिया था। उन्होंने अपने आरोपों के संबंध में एक व्यापारिक घराने, जम्मू-कश्मीर के एक पूर्व मंत्री और एक आरएसएस नेता का नाम लिया। हालांकि आरएसएस नेता ने इन आरोपों के लिए मलिक के खिलाफ मानहानि का मामला दायर किया है।
मलिक ने कहा, मैं बहुत सावधानीपूर्वक कह सकता हूं कि प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार से बहुत नफरत नहीं करते हैं। जब मुझे गोवा भेज दिया गया तो एक हफ्ते बाद मैंने उस भ्रष्टाचार के खिलाफ मोदी से शिकायत की थी।
मलिक ने कहा कि जेड प्लस सुरक्षा की सिफारिश और पाकिस्तान से कथित खतरे के बावजूद, उनके पास वर्तमान में केवल एक ही कांस्टेबल है, जो उनकी रक्षा कर रहा है। सुरक्षा की कमी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "सरकार चाहती है कि इस साले को कोई मार दे।"
उन्होंने कहा कि अगर हम ईमानदारी से निष्पक्ष होकर बात करें तो हमने कश्मीर में कभी निष्पक्ष चुनाव नहीं कराया। हमने नतीजों में हेराफेरी की है…। इन तरकीबों की वजह से हम वहां भरोसा नहीं दे पाते।
2018 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा को भंग करने पर, मलिक ने पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के आरोपों का विरोध किया कि उन्हें सरकार बनाने का दावा करने के बावजूद वंचित कर दिया गया था। उन्होंने अपना बचाव करते हुए कहा, 'मैं उनके (मोदी) संपर्क में नहीं था। यह ईद थी… मेरे कार्यालय में फैक्स या कुछ भी करने के लिए कोई नहीं था…। मैं दिल्ली में था। मैं 4 बजे पहुंचा। मेरे मुख्य सचिव और हमारे खुफिया प्रमुख आए और कहा कि बहुमत है और यदि वे पत्र भेजते हैं, तो उन्हें शपथ दिलाएं…। लेकिन नियम क्या है? सरकारें ट्विटर पर नहीं बनतीं।
मलिक ने कहा: मैंने रात 8 बजे के बाद विधानसभा भंग कर दी। उनके पास पूरा दिन था। श्रीनगर से जम्मू के लिए तीन फ्लाइट हैं... फारूक अब्दुल्ला साहब की पार्टी ने कहा, 'हम दिल्ली जा रहे हैं और कल फैसला करेंगे'। गुलाम नबी आजाद ने स्पष्ट रूप से नहीं कहा कि वे समर्थन करेंगे। महबूबा ही कह रही थीं कि उनके पास बहुमत है। बड़े पैमाने पर विधायकों की खरीद-फरोख्त चल रही थी। उन्होंने खुद शिकायत की थी और विधानसभा को जल्द भंग करने की मांग की थी। वो कह रह थे कि हमारे विधायकों की खरीद-फरोख्त की जा रही है, हम पर दबाव डाला जा रहा है। फारूक खुद शिकायत कर रहे थे...। अगर वे अक्षम थे, तो उसके लिए मैं जिम्मेदार नहीं हूं…। बेशक, वह झूठ बोल रही है। उस दौरान उन्होंने मुझे कभी फोन नहीं किया।
मेघालय के राज्यपाल रहने के दौरान सत्यपाल मलिक ने किसान आंदोलन से निपटने के तरीकों पर केंद्र के खिलाफ आलोचनात्मक बयान दिए थे। उन्होंने केंद्र और राज्यों में भाजपा के मंत्रियों की मुस्लिमों विरोधी कट्टर टिप्पणियों की भी आलोचना की थी। पूर्व राज्यपाल ने कहा -
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अडानी-हिंडनबर्ग घोटाला मोदी सरकार की दुखती रग साबित हो सकता है अगर विपक्ष अगले लोकसभा चुनाव के लिए एकजुट हो जाए। उन्होंने कहा कि यह (अडानी-हिंडनबर्ग घोटाला) एक चुनावी मुद्दा है। अगर वे (मोदी सरकार) नहीं सुधरे तो अडानी कांड उन्हें खत्म कर देगा। अगर विपक्ष एकजुट होकर टक्कर देता है तो उन्हें (मोदी सरकार को) नहीं बचाया जा सकता...। मोदी इस मामले में संसद में अपने बचाव में एक शब्द भी नहीं बोल सके।
-सत्यपाल मलिक, पूर्व राज्यपाल, 14 अप्रैल 2023, सोर्सः द वायर
बता दें कि सत्यपाल मलिक भारत के उस नेता के रूप में जाने जाते हैं, जिसने कई पार्टियां बदली हैं। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री और जाट नेता चौधरी चरण सिंह की छत्रछाया में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया। वो तमाम समाजवादी आंदोलनों से जुड़े रहे और वहां से यात्रा करते हुए भाजपा में पहुंचे थे। भाजपा ने उन्हें जम्मू कश्मीर समेत कई राज्यों का राज्यपाल बनाकर जाट वोट साधना चाहा। लेकिन अपने राजनीतिक जीवन के अंतिम दौर में वो लगातार सत्य बोल रहे हैं। उन्होंने हाल ही में 2024 में कांग्रेस के लिए प्रचार करने की इच्छा जताई, लेकिन यह भी कहा कि वह किसी भी राजनीतिक दल में शामिल नहीं होंगे या चुनाव नहीं लड़ेंगे।
मलिक को 2017 में मोदी सरकार ने बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया था। 2018 में उन्हें जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल बना दिया गया। पुलवामा हमला 2019 में हुआ था। उसके बाद कश्मीर से उसका विशेष दर्जा छीन लिया गया और लंबे समय तक इंटरनेट बंद रखा गया। इसके बाद जम्मू कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। , जिसकी सारी जिम्मेदारी राज्यपाल के बजाय लेफ्टिनेंट गवर्नर को सौंप दी गई। राज्यपाल मलिक को गोवा का राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया।
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