विकसित भारत का जुमला बोल देने भर से विकास नहीं होता। इससे भारत की समस्याओं का समाधान नहीं होगा। परिपक्व अर्थव्यवस्था में खेतों में काम करने वाले मजदूर वहां से निकलकर बड़े शहरों में जाते हैं, वहां इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में उन्हें काम मिलता है। उन्हें खेत मजदूर के मुकाबले बड़े शहरों में ज्यादा पैसा मिलता है और इसे असंगठित क्षेत्र कहा जाता है। लेकिन मोदी राज में उल्टा हुआ। खेत मजदूर बढ़ गये हैं। लोग खेती पर आधारित काम करने को मजबूर हैं। बेशक उनमें उन्हें बहुत मामूली आमदनी हो रही है।