विकसित भारत का जुमला बोल देने भर से विकास नहीं होता। इससे भारत की समस्याओं का समाधान नहीं होगा। परिपक्व अर्थव्यवस्था में खेतों में काम करने वाले मजदूर वहां से निकलकर बड़े शहरों में जाते हैं, वहां इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में उन्हें काम मिलता है। उन्हें खेत मजदूर के मुकाबले बड़े शहरों में ज्यादा पैसा मिलता है और इसे असंगठित क्षेत्र कहा जाता है। लेकिन मोदी राज में उल्टा हुआ। खेत मजदूर बढ़ गये हैं। लोग खेती पर आधारित काम करने को मजबूर हैं। बेशक उनमें उन्हें बहुत मामूली आमदनी हो रही है।
मोदी राज में नौकरियां बढ़ने की बजाय कृषि मजदूर क्यों बढ़े, क्या हैं मजबूरियां?
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- 29 Mar, 2025
देश में खेत मजदूर बढ़े हैं और नौकरियों कम हुई हैं। अब यह बात तथ्यात्मक रूप से भी सामने आ गई है। अब जवाहर लाल नेहरू या यूपीए सरकार की नीतियों को दोष देना बेवकूफी होगी। यूपीए सरकार का रोजगार सृजन और संतुलित विकास का रेकॉर्ड बेहतर था। पढ़िये पूरी रिपोर्टः
