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मंत्रिमंडल विस्तार : जेडीयू, ज्योतिरादित्य, एलजेपी को मिल सकती है जगह

पाँच राज्यों में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए नरेंद्र मोदी अपने दूसरे कार्यकाल में मंत्रिमंडल का पहली बार विस्तार कर सकते हैं। भविष्य के चुनावों के अलावा अतीत में दूसरे दलों से आए हुए लोगों और अपनी ही पार्टी के कुछ लोगों को भी एडजस्ट करने की कोशिश इस विस्तार में की जा सकती है। जातीय, क्षेत्रीय व दलीय राजनीति को भी साधने की कोशिशें इस मंत्रिमंडल विस्तार में की जा सकती हैं।

इस पहले मंत्रिमंडल विस्तार में सबसे विश्वसनीय दावेदार के रूप में उभर कर सामने आ रहे हैं जनता दल यूनाइटेड के लोग। साल 2019 के आम चुनावों के समय इसे सिर्फ एक मंत्री का पद मिल रहा था।

इससे नाराज़ जदयू ने मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने का फ़ैसला किया था। बिहार में बीजेपी की मदद से जनता दल यूनाइटेड की सरकार चल रही थी और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने हुए थे। पार्टी के पास बीजेपी को समर्थन देते रहने का कोई विकल्प नहीं था।

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जेडीयू

पर अब पार्टी सरकार में शामिल होना चाह रही है। इस सिलसिले में ही नीतीश कुमार और उनके साथ बिहार के कुछ वरिष्ठ नेता दिल्ली आए हुए थे।

जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष आर. सी. पी. सिंह ने कहा था कि बीजेपी और जदयू बिहार सरकार में साथ-साथ हैं, ऐसे में अचरज नहीं होना चाहिए यदि उनकी पार्टी केंद्र सरकार में शामिल हो जाए।

सिंह ने यह भी कहा था कि पीएम मोदी जब भी कैबिनेट का विस्‍तार करेंगे, जेडीयू निश्चित रूप से इसमें शामिल होगी।

जदयू से लल्लन सिंह, रामनाथ ठाकुर और संतोष कुशवाहा में से किसी एक या दो को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है।

सुशील मोदी?

नीतीश कुमार के साथ उप मुख्यमंत्री रहे सुशील कुमार मोदी को जब राज्य मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली, उसी समय यह बात ज़ोरदार चर्चा में थी कि उन्हें राज्य से दूर कर केंद्र की राजनीति में ले जाया जाएगा। बाद में उन्हें राज्यसभा ले जाया गया तो इस पर मुहर लग गई। उनकी वरीयता और संघ से उनकी निकटता को देखते हुए इसकी संभावना है कि सुशील मोदी को बिहार बीजेपी की ओर से मंत्री बनाया जाए।

modi cabinet reshuffle : JDU, Jyotiraditya, LJP may get berth - Satya Hindi
चिराग पासवान, सांसद, लोक जनशक्ति पार्टी

एलजेपी

इसकी पूरी संभावना है कि लोक जनशक्ति पार्टी के पशुपति पारस गुट  के किसी आदमी को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाए। राम विलास पासवान मोदी मंत्रिमंडल में खाद्य मंत्री थे, उनके निधन के बाद उनकी जगह पर लोजपा के किसी आदमी को मंत्री नहीं बनाया गया है। यह सीट खाली है।

राम विलास पासवान के बेटे चिराग को मंत्री बनाने की संभावना नहीं है क्योंकि उनके पार्टी के पाँच में से चार सदस्यों ने उनका साथ छोड़ दिया है और वे पारस के साथ हैं। 

चिराग भले ही खुद को 'प्रधानमंत्री का हनुमान' और अमित शाह को अपना 'अभिभावक' बताते रहें, सच यह है कि जब उनकी पार्टी में कोई उनके साथ नहीं है तो उन्हें मंत्री कैसे और क्यों बनाया जाए।

ज्योतिरादित्य सिंधिया

किसी समय राहुल गांधी के मित्र और प्रियंका गांधी के बेहद क़रीबी रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी का हाथ थामा, उसी समय से उनके मंत्री बनाए जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है।

वे कांग्रेस सरकार में युवा रहते हुए और बग़ैर किसी अनुभव के मंत्री बनाए गए थे। अब जबकि उन्होंने पार्टी छोड़ी, मित्र छोड़ा और मध्य प्रदेश की राजनीति में उनकी पकड़ भी है तो उन्हें बीजेपी पुरस्कृत करेगी ही, ऐसा माना जा रहा है। इसलिए इसकी पूरी संभावना है कि पहले मंत्रिमंडल विस्तार में ही उन्हें जगह मिल जाए।

सर्वानंद सोनोवाल

इस बार हिमंत विश्व शर्मा को असम का मुख्यमंत्री जिस समय बनाया गया, उसी समय यह बात चर्चा में थी कि उनके लिए रास्ता साफ करने वाले सर्वानंद सोनोवाल को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया जाएगा।

महाराष्ट्र बीजेपी से नारायण राणे और हरियाणा के भपेंद्र यादव भी दौड़ में शामिल हैं।

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ज्योतिरादित्य सिंधिया, नेता, बीजेपी

उत्तर प्रदेश

अगले साल का सबसे महत्वपूर्ण चुनाव उत्तर प्रदेश में है, जिसके लिए बीजेपी सबकुछ दाँव पर लगा देगी, क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत का रास्ता उसी प्रदेश से होकर गुजरेगा।

लिहाज़ा, उत्तर प्रदेश से बीजेपी के कई लोग मंत्रिमंडल में शामिल किए जा सकते हैं ताकि जातीय व क्षेत्रीय समीकरण अपने पक्ष में किया जा सके और उपेक्षित या नाराज़ समुदाय को प्रतिनिधित्व मिल सके।

वरुण गांधी, रीता बहुगुणा, रमाशंकर कथेरिया, अनिल जैन को जगह मिल सकती है। बीजेपी के सहयोगी अपना दल की अनुप्रिया पटेल को भी शामिल किया जा सकता है।

मातुआ पर मेहरबानी!

उत्तराखंड के अनिल बलूनी और अजय भट्ट को भी जगह मिल सकती है।

पश्चिम बंगाल में मातुआ समुदाय के नेता बीजेपी सांसद शांतनु ठाकुर को मंत्री बनाए जाने की संभावना है। उन्होंने अपने परिवार से विद्रोह किया था और अपनी ही चाची ममता ठाकुर को 2019 के आम चुनाव में पराजित किया था। ममता ठाकुर उस समय तृणमूल कांग्रेस की सांसद थी। शांतनु की यह बड़ी जीत मानी गई थी।

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में मातुआ-बहुल इलाक़ों में बीजेपी का प्रदर्शन अच्छा रहा है और बीजेपी यह मान सकती है कि उसने जो बढ़त बनाई है, उसे बनाए रखने के लिए इस समुदाय के किसी आदमी को केंद्र में जगह दे।

इसके अलावा हरियाणा के बृजेंद्र सिंह, राजस्थान के राहुल कासवान, ओडिशा के अश्विनी वैष्णव, महाराष्ट्र से पूनम महाजन, दिल्ली से परवेश वर्मा या मीनाक्षी लेखी को मौका मिल सकता है।

ये ग़ैर-बीजेपी शासित क्षेत्र हैं, इन्हें प्रतिनिधित्व देकर बीजेपी अपना प्रभाव बढ़ाने की रणनीति अपना सकती है।

जाह़िर है, कुछ लोगों की छुट्टी भी हो सकती है। 

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प्रमोद मल्लिक
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