अपनी तमाम निजी व्यस्तताओं के बावजूद 'नाकारा' और 'नाअहल' महमूद मदनी जमीयत उलमा-ए-हिंद के महासचिव पद पर पहले की तरह काम करते रहेंगे। ग़ौरतलब है कि 2 दिन पहले महमूद मदनी ने खुद को 'नाकारा' और 'नाअहल' (अयोग्य) बता कर निजी व्यवस्थाओं का हवाला देते हुए जमीअत-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना क़ारी मुहम्मद उस्मान मंसूरपुरी को महासचिव पद से अपना इस्तीफ़ा भेजा था। उनके इस्तीफ़े पर ग़ौर करने के लिए जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने आगामी 7 फरवरी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। इस बैठक में ही तय होगा महमूद मदनी अपने इस्तीफ़े पर क़ायम रहते हैं या फिर जमीअत उनके इस्तीफ़े को नामंज़ूर करती है। तब तक महमूद मदनी अपने पद पर पहले की तरह काम करते रहेंगे। महमूद मदनी ने बाक़ायदा एक बयान जारी करके यह जानकारी दी है।
'नाकारा' और 'नाक़ाबिल' महमूद मदनी बने रहेंगे जमीअत महासचिव
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- 17 Jan, 2019

जमीअत-उलेमा-ए-हिन्दी के महासचिव महमूद मदनी फ़रवरी मे होने वाली बैठक तक अपने पद पर बने रहेंगे। मुमकिन है कि उसके बाद संगठन के अध्यक्ष को हटा दिया जाए।
गुरुवार को जारी किए गए ढाई लाइन के अपने बयान में महमूद मदनी ने कहा है, ' मैंने जमीअत उलेमा-ए-हिंद के सदर (यानी अध्यक्ष) को अपनी निजी व्यस्तताओं की वजह से राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफ़ा पेश किया था। सदर मोहतरम के हुक़म और मशवरे के लिए आगामी 7 फरवरी को जमीअत उलेमा-ए-हिंद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। तब तक मैं अपनी तमाम व्यस्ततताओं के बावजूद जमीअत के महासचिव पद पर बना रहूंगा और पहले की तरह अपने फर्ज़ को अंजाम देता रहूंगा।' महमूद मदनी के इस बयान से ज़ाहिर होता है कि जमीअत पर उनका दबाव काम कर गया है। जिस मक़सद से उन्होंने इस्तीफ़े की पेशकश की थी, वह पूरा हो चुका है।