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बाइडेन-मोदी मुलाकात के बाद मीडिया को सवाल पूछने की अनुमति नहीं

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की टीम ने कहा है कि सरकार ने जी20 शिखर सम्मेलन से पहले दिल्ली में द्विपक्षीय बैठक के बाद मीडिया को बाइडेन से और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल पूछने की अनुमति नहीं दी।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्विटर (एक्स) पर लिखा, "राष्ट्रपति बाइडेन की टीम का कहना है कि काफी अनुरोधों के बावजूद भारत ने द्विपक्षीय बैठक के बाद मीडिया को बाइडेन और प्रधान मंत्री मोदी से सवाल पूछने की अनुमति नहीं दी है।" उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति बाइडेन अब 11 सितंबर को वियतनाम में अपने साथ मौजूद मीडिया के सवालों का जवाब देंगे। यह बिल्कुल भी आश्चर्य की बात नहीं है। यही है मोदी स्टाइल का लोकतंत्र।"

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यहां यह बताना जरूरी है कि दरअसल, बाइडेन के साथ अमेरिका से आए मीडिया वालों ने बाइडेन प्रशासन से अनुरोध किया था कि दोनों की मुलाकात के बाद उन्हें दोनों नेताओं से सवाल की अनुमति दी जाए। बाइडेन प्रशासन इसके लिए तैयार हो गया लेकिन भारत सरकार की ओर से मना कर दिया गया। दरअसल, रॉयटर्स ने सबसे पहले इस बारे में खबर दी।
रॉयटर्स की रिपोर्ट है कि 8 सितंबर को नई दिल्ली पहुंचने के तुरंत बाद बाइडेन ने मोदी के साथ एक बंद कमरे में बैठक की। जैसे ही बाइडेन और मोदी ने मुलाकात की, “अमेरिकी प्रेस के पत्रकारों को दोनों नेताओं की नज़र से दूर एक वैन में कैद कर लिया गया था। उन पत्रकारों और फोटोग्राफरों के लिए यह एक असामान्य स्थिति थी जो घर और दुनिया भर में अमेरिकी राष्ट्रपति की कवरेज लगातार करते हैं। वे अमेरिकी राष्ट्रपति को सार्वजनिक उपस्थिति को रिकॉर्ड करते हैं, उनसे हर मौके पर सवाल करते हैं। अमेरिकी सरकार ने कभी आज तक मीडिया पर इस तरह की रोक नहीं लगाई।''
अमेरिकी विदेश विभाग को कवर करने वाली रॉयटर्स की विदेश नीति रिपोर्टर हुमैरा पामुक ने ट्वीट किया- "भारत यात्रा पर प्रेस की पहुंच के बारे में सवाल लगातार बने हुए हैं, क्योंकि व्हाइट हाउस के आधिकारिक कार्यक्रम में यह नहीं लिखा गया था कि शुरुआत में मोदी-बाइडेन मुलाकात के दौरान पत्रकारों के सामान्य समूह को वहां अनुमति दी जाएगी।" 
रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यालय ने बैठक की कुछ आधिकारिक तस्वीरें जारी कीं, जिसमें दोनों नेता एक-दूसरे के बगल में बैठे और सौहार्दपूर्ण ढंग से बातचीत करते दिख रहे हैं।
रॉयटर्स ने लिखा है- भारत यात्रा पर प्रेस की पहुंच के बारे में सवाल लगातार उठ रहे हैं, क्योंकि व्हाइट हाउस के आधिकारिक कार्यक्रम में यह नहीं बताया गया था कि मोदी-बाइडेन बैठक के दौरान पत्रकारों के सामान्य समूह को अनुमति दी जाएगी।
इंडो पैसिफिक पॉलिसी के सीनियर अमेरिकी अधिकारी कुर्ट कैंपबेल ने रॉयटर्स से कहा-  बिडेन ने स्वस्थ लोकतंत्र के महत्व के बारे में मोदी से बात की है। उन्होंने कहा, "वह ऐसा इस तरह से नहीं करते जिससे लगे कि एक देश दूसरे देश को उपदेश दे रहा है, बल्कि यह दर्शाता है कि हम सभी साझा चुनौतियों का सामना करते हैं।"
कैंपबेल ने कहा कि वह प्रेस की पहुंच के बारे में चर्चा नहीं करना चाहेंगे। उन्होंने कहा कि बाइडेन ऐसे विषयों को निजी तौर पर संबोधित करना पसंद करते हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रेस पूल, जो विदेशी और घरेलू यात्राओं पर राष्ट्रपति के साथ जाता है और आम तौर पर प्रमुख घटनाओं तक उसकी कुछ पहुंच होती है। उनके लिए इस तरह पूरी तरह से प्रतिबंधित होना बेहद दुर्लभ है। इस प्रेस पूल में यूएस के प्रमुख मीडिया आउटलेट के पत्रकार और फोटोग्राफर हैं, जो भारत भी आए हैं।

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पीएम मोदी भारत को 'लोकतंत्र की जननी' कहना पसंद करते हैं। उन्हें सत्ता में आए हुए साढ़े नौ साल हो चुके हैं। लेकिन उन्होंने अभी तक दिल्ली में एक भी संवाददाता सम्मेलन को संबोधित नहीं किया है। जून में जब वो अमेरिका यात्रा पर गए थे तो वहां अमेरिकी पत्रकार ने भारत में लोकतंत्र को लेकर तीखे सवाल किए थे। थोड़ी असहजता के साथ पीएम मोदी ने 'सब चंगा सी' वाले अंदाज में जवाब दिया था। लेकिन उस अमेरिकी पत्रकार को भाजपा और उसके समर्थकों ने बड़े पैमाने पर ट्रोल किया था।
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क़मर वहीद नक़वी
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