भारत में किसानों के प्रदर्शन पर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बयान से क्या अब दोनों देशों के बीच संबंध ख़राब हो जाएँगे? कम से कम भारत ने तो ऐसी ही चेतावनी दी है। भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि 'ऐसी कार्रवाई संबंधों को बेहद नुक़सान पहुँचाएँगी'।
भारत में किसानों के प्रदर्शन पर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बोलने के क़रीब 4 दिन बाद भारत ने कनाडा के उच्चायुक्त को तलब किया है। इसके साथ ही औपचारिक तौर पर भारत ने ट्रूडो के बयान की निंदा की है। इसके अलावा भारत ने कनाडा के दूसरे सांसदों द्वारा किसानों के प्रदर्शन पर भी बोलने पर आपत्ति की है।
भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है, 'भारतीय किसानों पर कनाडाई नेताओं द्वारा टिप्पणियाँ हमारे आंतरिक मामलों में अस्वीकार्य हस्तक्षेप हैं। इस तरह की कार्रवाई अगर जारी रहती है तो द्विपक्षीय संबंधों पर गंभीर रूप से हानिकारक प्रभाव पड़ेगा।' हालाँकि कनाडा के प्रधानमंत्री की टीप्पणी के कुछ समय बाद ही भारत ने इस पर संभली हुई प्रतिक्रिया दी थी और कहा था कि यह भारत का अंदरूनी मामला है। तब न तो कनाडा के उच्चायुक्त को तलब किया गया था और न ही संबंधो के ख़राब होने की ऐसी चेतावनी दी गई थी।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत में किसानों के आंदोलन पर चिंता जताई थी। किसानों के आंदोलन पर बोलने वाले वह पहले अंतरराष्ट्रीय नेता हैं। ट्रूडो गुरुनानक की 551वीं जयंती पर एक ऑनलाइन कार्यक्रम में शिरकत कर रहे थे और वह ख़ासकर कनाडा में सिख समुदाय को संबोधित कर रहे थे।
कनाडा में बड़ी तादाद में सिख रहते हैं और माना जाता है कि वहाँ सिख समुदाय का अच्छा-ख़ासा प्रभाव है। भारत में नये कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ जो प्रदर्शन हो रहा है उसमें भी अभी तक अधिकतर सिख ही मुखर होते हुए दिखे हैं।
तब ट्रूडो ने कहा था कि कनाडा हमेशा शांतपूर्ण प्रदर्शन के बचाव में खड़ा रहेगा। उन्होंने कहा था, 'किसानों के विरोध के बारे में भारत से ख़बरें आ रही हैं। स्थिति चिंताजनक है और हम सभी परिवार और दोस्तों के बारे में बहुत चिंतित हैं। मुझे पता है कि आप में से कई लोगों के लिए यह एक वास्तविकता है। मैं आपको याद दिला दूँ, कनाडा हमेशा शांतिपूर्ण विरोध के अधिकारों की रक्षा करेगा।'
बता दें कि दिल्ली के टिकरी और सिंघू बॉर्डर पर पंजाब-हरियाणा सहित कई राज्यों के किसानों का जमावड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। दिल्ली की ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन भी किसानों के इस आंदोलन से जुड़ सकती है और इसके बाद दिल्ली की कई सड़कों को बंद करने की योजना है।
दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने दिल्ली और ग़ाज़ियाबाद को जोड़ने वाले दोनों कैरिज-वे को बंद कर दिया है। किसान आंदोलन के कारण दिल्ली-हरियाणा और दिल्ली-यूपी के तमाम बॉर्डर्स पर भीषण जाम लग रहा है। अब हरियाणा के कई जिलों से बड़ी संख्या में किसान और खाप पंचायतें खुलकर किसानों को समर्थन दे रही हैं और पंजाब से भी लगातार संगतें आ रही हैं। यह साफ है कि सरकार को जल्द ही इस मसले का हल निकालना होगा, वरना आम लोगों की मुश्किलों में इजाफा होगा।
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