भारत ने गुरुवार को अमेरिकी कांग्रेस सदस्य इल्हान उमर की पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यानी पीओके की यात्रा की निंदा की है। भारत विरोधी रुख के लिए जानी जाने वाली इल्हान पाकिस्तान के चार दिवसीय दौरे पर पहुँची हैं। उन्होंने पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ से मुलाक़ात की है। इल्हान ने उस पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान से भी मुलाक़ात की जिन्होंने अमेरिका पर उनकी सरकार को गिराने की साज़िश रचने का आरोप लगाया था। तो पाकिस्तान में भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि अब वही इमरान ख़ान अमेरिकी सांसद के साथ खुशी-खुशी तसवीर क्यों खिंचवा रहे हैं?
इसी बीच इल्हान ने पीओके की यात्रा की और इस पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भारत ने कहा है कि यह 'संकीर्ण दिमाग' की राजनीति को दर्शाता है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पीओके का दौरा करने के लिए इल्हान की आलोचना की और कहा, 'हमने देखा है कि उन्होंने भारतीय केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के एक हिस्से का दौरा किया है जो वर्तमान में पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया है। मुझे बस इतना कहना है कि अगर ऐसी राजनेता अपनी संकीर्ण सोच वाली राजनीति करना चाहती है, तो यही उसका काम हो सकता है।'
उन्होंने आगे कहा कि लेकिन इसके लिए हमारी क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का उल्लंघन करने से हमें लगता है कि यह यात्रा निंदनीय है।
बता दें कि इल्हान की पीओके की उस यात्रा से पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा था कि वह पाकिस्तान की सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक क्षमता की अधिक समझ रखने के लिए लाहौर और पीओके का दौरा करेंगी।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उमर के बीच भी चर्चा हुई। न्यूज़ एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार शरीफ ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने 39 वर्षीय सांसद के साथ कश्मीर का मुद्दा उठाया था और जम्मू-कश्मीर मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान के महत्व पर जोर दिया, जिससे क्षेत्र अपनी आर्थिक क्षमता का एहसास कर सके और सामाजिक प्रगति को बढ़ावा दे सके।
बहरहाल, भारत के विदेश मंत्रालय ने अन्य मुद्दों पर भी प्रतिक्रिया दी है। अफ़ग़ानिस्तान में हाल के आतंकवादी हमलों पर एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय ने कहा, 'हमने कुछ आतंकवादी हमलों को देखा है। हम आतंकवादी हमलों की निंदा में हमेशा स्पष्ट रहे हैं। हम देख रहे हैं कि वहां क्या हुआ है। हम निश्चित रूप से सभी आतंकी हमले की निंदा करते हैं।'
ऑस्ट्रेलिया की अकादमिक स्वतंत्रता में भारतीय उच्चायोग द्वारा हस्तक्षेप के आरोपों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बागची ने कहा, 'हमने मीडिया रिपोर्टें देखी हैं जो सही नहीं हैं। हमारे पास संबंधों को गहरा करने के लिए थिंक टैंक हैं। मेलबर्न में यह एक विशिष्ट मामला था। संस्थान की स्थापना ऑस्ट्रेलियाई सरकार द्वारा की गई और उनके द्वारा वित्त पोषित है। भारत सरकार संस्थान को वित्त पोषित नहीं करती है और इसके कामकाज में कोई भूमिका नहीं है।'
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