अफगानिस्तान गुरुवार शाम को तीन धमाकों से दहल उठा। ये धमाके मज़ार-ए-शरीफ की शिया मस्जिद समेत तीन स्थानों पर हुए। करीब तीस लोग मारे गए हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इसकी निन्दा की है। बल्ख प्रांत के मजार-ए-शरीफ की शिया मस्जिद में 12 लोगों की मौत हुई, जबकि दो अन्य शहरों में हुए बम हमलों में कम से कम 16 लोग मारे गए हैं। इन धमाकों की जिम्मेदारी आतंकी संगठन आईएसआईएस ने कथित तौर पर ली है।मजार-ए-शरीफ की सह डोकान मस्जिद में हुए धमाके के बारे में बल्ख प्रांतीय जन स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता अहमद जिया जिंदानी ने कहा, खून और डर हर जगह है। लोग चिल्ला रहे थेष अस्पताल में अपने रिश्तेदारों को तलाश रहे थे। घायलों को खून की कमी न होने पाए, इसके लिए तमाम लोग अस्पताल में रक्तदान के लिए पहुंच गए।
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पुलिस प्रवक्ता ओबैदुल्ला आबेदी ने बताया कि कुंदुज में तालिबान सरकार के लिए काम कर रहे मैकेनिकों को ले जा रहे एक वाहन को निशाना बनाकर किए गए एक साइकिल में छिपे बम से कम से कम चार लोगों की मौत हो गई और 18 अन्य घायल हो गए।गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि सड़क किनारे हुए विस्फोट में सैन्य यांत्रिकी की एक वैन को निशाना बनाया गया और घायलों में स्कूली छात्र भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि काबुल में सड़क किनारे हुए एक अन्य विस्फोट में एक बच्चे सहित तीन लोग घायल हो गए।अगस्त में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से अफगानिस्तान में बम विस्फोटों की संख्या में कमी आई थी लेकिन अब फिर से मामले बढ़ रहे हैं।
इसी तरह मंगलवार को भी काबुल के शिया पड़ोस में एक स्कूल के बाहर दो विस्फोटों में कम से कम छह लोगों की मौत हो गई और 25 अन्य घायल हो गए। किसी भी समूह ने उस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।
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तालिबान अधिकारियों का कहना है कि उनके बलों ने आईएसआईएस को हरा दिया है, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि यह समूह सुरक्षा के लिए एक प्रमुख चुनौती बना हुआ है।
मानवाधिकारों पर अफगानिस्तान के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत रिचर्ड बेनेट ने हमलों की निंदा की।
उन्होंने एक ट्वीट में कहा, आज और अधिक विस्फोट अफगानिस्तान को झकझोर रहे हैं... भीड़भाड़ वाले स्कूलों और मस्जिदों को लक्ष्य करके हमले किए जा रहे हैं। ऐसे मामलों की फौरन जांच और जवाबदेही तय हो। मानवाधिकारों का यह उल्लंघन बंद होना चाहिए।
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