ट्विटर पर मीटू (#MeToo) आंदोलन के बाद यौन उत्पीड़न का सामना कर रहे पूर्व विदेश राज्य मंत्री एम. जे. अकबर के मामले में पत्रकार ग़ज़ाला वहाब ने कोर्ट में अपने बयान दर्ज कराए। वह पत्रकार प्रिया रमानी के केस में गवाह के रूप में पेश हुई थीं। ग़ज़ाला ने दिल्ली के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने उन घटनाक्रमों को सिलसिलेवार तरीक़े से बताया जो उनके सामने घटीं। कोर्ट इस मामले में एम. जे. अकबर द्वारा पत्रकार प्रिया रमानी के ख़िलाफ़ दर्ज कराए गए अवमानना मामले में सुनवाई कर रहा था। प्रिया रमानी ने अकबर के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न का केस दर्ज कराया था। इसके बाद अकबर ने रमानी पर अवमानना का केस दायर किया था। प्रिया रमानी भी मंगलवार को कोर्ट में मौजूद थीं। जब मीटू आंदोलन चल रहा था तब 20 से ज़्यादा महिलाओं ने अकबर पर यौन दुर्व्यवहार का आरोप लगाया। इसके बाद अकबर को विदेश राज्य मंत्री पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था।
#MeToo: अवमानना केस में ग़ज़ाला की गवाही से एम. जे. अकबर को लगेगा झटका?
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- 11 Dec, 2019
ट्विटर पर मीटू यानी #MeToo आंदोलन के बाद यौन उत्पीड़न का सामना कर रहे पूर्व विदेश राज्य मंत्री एम. जे. अकबर के मामले में पत्रकार ग़ज़ाला वहाब ने कोर्ट में अपने बयान दर्ज कराए।

प्रिया रमानी से पहले ग़ज़ाला वहाब ने 2018 में भी एम. जे. अकबर के ख़िलाफ़ ट्वीट किया था- मुझे संदेह है कि एम. जे. अकबर के बारे में खुलासे कब होंगे।' मीटू आंदोलन में अकबर के फँसने के बाद ग़ज़ाला ने ' द वायर' के लिए इस पर एक लेख लिखा था जिसमें अकबर के ख़िलाफ़ लगाए गए आरोपों के सिलसिले में घटनाओं का सिलसिलेवार ज़िक्र किया गया था। इन्हीं घटनाओं का ज़िक्र उन्होंने कोर्ट में भी किया जब वह प्रिया रमानी के गवाह के रूप में पेश हुईं। कोर्ट में अपनी गवाही के दौरान ग़जाला ने कहा कि 'द एशियन एज' अख़बर में, जहाँ तब एम. जे. अकबर संपादक थे, मेरी डेस्क अकबर के केबिन के ठीक बाहर रखी गई थी ताकि जब दरवाज़ा थोड़ा सा भी खुला हो तो वह मुझे देख सकें।