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जैश-ए-मुहम्मद प्रमुख मसूद अज़हर के छोटे भाई मौलाना अम्मार ने माना है कि भारतीय लड़ाकू विमानों ने बालाकोट के नज़दीक ख़ैबर पख़्तूनख़्वा में जैश का कैंप ध्वस्त किया था। उसने यह दावा एक ऑडियो टेप में किया है। मौलाना अम्मार का यह बयान पाकिस्तान सरकार के उस बयान के उलट है जिसमें वह किसी कैंप को निशाना बनाये जाने से इनकार करती है।
मौलाना अम्मार का वह ऑडियो सोशल मीडिया पर भी मौजूद है। यह ऑडियो बालाकोट में आतंकी ट्रेनिंग कैंप पर भारतीय वायुसेना के हमले के बाद पेशावर में एक जलसे का है जिसमें अम्मार हमले का ज़िक्र कर रहा है। माना जाता है कि यह ऑडियो हमले के एक दिन बाद का ही है।
अम्मार ने भारतीय वायुसेना के हमले को दुश्मन की तरफ़ से एलान-ए-जंग करार दिया है। उसने यह भी कहा है कि भारतीय वायुसेना ने अधिकारियों के हेडक्वार्टर पर हमला नहीं किया, बल्कि यह हमला उस जगह पर किया गया जहाँ जिहाद की तालीम दी जाती थी।
अम्मार ने कहा, ‘आज दुश्मन ने तब सभी सवालों का जवाब दे दिया है जब वह पहाड़ों को पार कर हमारे देश में घुस आया और इसलामिक सेंटर पर हमला किया।’ ऑडियो में मौलाना अम्मार ने कहा,
“
भारतीय लड़ाकू विमान ने किसी अधिकारी के सुरक्षित ठिकाने को निशाना नहीं बनाया। किसी एजेंसी के हेडक्वार्टर पर भी बम नहीं गिराये। उन्होंने वहाँ बम गिराये जहाँ कश्मीर के मुसलमानों की सहायता करने के लिये छात्र जिहाद सिख रहे थे।
मौलाना अम्मार, मसूद अज़हर का छोटा भाई
पाकिस्तान सरकार और पश्चिमी देशों के कुछ मीडिया संस्थानों ने इस पर संदेह ज़ाहिर किया है कि बमबारी में जैश के कैंप ध्वस्त हुए हैं या नहीं। लेकिन इस ऑडियो रिकॉर्डिंग से साफ़ हो जाता है कि जैश के नेतृत्वकर्ता यह मानते हैं कि जैश के कैंप को निशाना बनाया गया है।
दूसरी रिपोर्टों में भी कहा गया है कि पहाड़ी पर जैश के कॉम्प्लेक्स ‘जबा टॉप’ को भी भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने निशाना बनाया था। फ़र्स्टपोस्ट की एक रिपोर्ट में स्थानीय लोगों के हवाले से कहा गया है कि एंबुलेंस से क़रीब 30 शवों को ले जाते देखा गया।
स्पाइस-2000 प्रिसीज़न बम में सैटेलाइट इमेजेज और बालाकोट में जैश-ए-मुहम्मद के कैंप वाली जगह की सटीक लोकेशन सेट की गयी थी। यह काम पाकिस्तान में हमले से पहले 26 फ़रवरी को ही ग्वालियर में मिराज-2000 लड़ाकू विमानों पर लोड करने से पहले कर लिया गया था। इसलिये इस बम में एक बार जब हमले वाली जगह की लोकेशन को सेट कर दिया गया तो 1000 किलोग्राम वाला यह बम दो से लेकर दस किलोमीटर के दायरे में सटीक जगह पर ही मार करता है। इसमें निशाना चूकने की संभावना न के बराबर रहती है।
कुछ रिपोर्टों में पहले भी कहा गया था कि हाई रिज़ोल्यूशन सिन्थेटिक एपर्चर राडार ले लिये गये पहले और बाद की तसवीरों में सटीक निशाना लगने की बात की पुष्टि होती है।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि हमले में ज़मीन पर मारे गये लोगों की सटीक संख्या बताना लगभग असंभव है। सूत्रों ने कहा कि 'डिजिटल सीन मैचिंग एरिया कोरिलेटर्स' से लैस स्पाइस-2000 बम पहले से लक्षित आतंकी ठिकानों की छत को तोड़ते हुए उसके अंदर पहुँचे। जिसने वहाँ मौजूद सभी आतंकियों को मार गिराया।
दिलचस्प यह रहा कि वायुसेना ने पाकिस्तानी वायुसेना को झाँसा देने के लिए कुछ विमानों की जेईएम के बहावलपुर स्थित मुख्यालय की ओर उड़ान भरी, जिससे लगे कि वहाँ पर हमला होने वाला है। इसका नतीजा यह हुआ कि पाकिस्तानी विमान हमले के समय बालाकोट से क़रीब 150 किलोमीटर दूरी पर हवाई पेट्रोलिंग कर रहे थे। इस तरह से भारतीय वायुसेना के विमानों ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के साथ ही पाकिस्तान के अंदर घुसकर 26 फ़रवरी के तड़के हवाई हमला किया और बिना किसी नुक़सान के वापस लौट भी आये।
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