प्रधानमंत्री मोदी की लक्षद्वीप की यात्रा को लेकर मालदीव के मंत्रियों की पोस्टों के बाद भारत और मालदीव के संबंध पर सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि अब तक भारत के सबसे क़रीबी होने के बावजूद मालदीव के नये राष्ट्रपति ने सबसे पहली यात्रा भारत की क्यों नहीं की, जैसी कि परंपरा रही है?
इस सवाल का जवाब मोहम्मद मुइज्जू के चीन के प्रति झुकाव में भी ढूंढा जा सकता है। वह राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर भारत के ख़िलाफ़ जहर उगलते रहे थे। उनका पूरा चुनाव अभियान भारत के विरोध पर केंद्रित था। जाहिर है कि चुनाव जीतने के बाद उनकी नीतियाँ भी काफी हद तक उस तरह की ही होंगी। लेकिन क्या भारत की विदेश नीति भी कुछ हद तक ज़िम्मेदार नहीं है?
एक रिपोर्ट के अनुसार मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के प्रशासन ने दिसंबर 2023 में उनकी भारत यात्रा के लिए एक प्रस्ताव भेजा था। सूत्रों के हवाले से इंडिया टुडे ने ख़बर दी है, 'मालदीव ने दिसंबर 2023 में भारत आने के लिए राष्ट्रपति मुइज्जू के 17 नवंबर के शपथ ग्रहण समारोह से पहले तारीखों का प्रस्ताव दिया था। मालदीव सरकार अभी भी भारतीय पक्ष द्वारा तारीख की पुष्टि किए जाने का इंतज़ार कर रही है।'
यानी यदि भारत की ओर से उनकी यात्रा के लिए सहमति दे दी जाती तो मुइज्जू की भारत यात्रा चीन से पहले हो जाती। हालाँकि, वह मालदीव के राष्ट्रपति की पहली आधिकारिक विदेश यात्रा नहीं होती। क्योंकि उन्होंने राष्ट्रपति के रूप में अपनी पहली यात्रा के रूप में तुर्की को चुना था और तुर्की के राष्ट्रपति के निमंत्रण पर 26 नवंबर को वहां गए थे। मुइज्ज़ू की तुर्की यात्रा के बाद 30 नवंबर, 2023 को संयुक्त अरब अमीरात में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन- सीओपी28 में उनकी भागीदारी हुई थी। फ़िलहाल, मुइज्ज़ू चीन की एक सप्ताह की यात्रा पर हैं।
मुइज्जू के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद मालदीव ने नवंबर महीने में ही भारत को वहाँ से अपने सैनिक हटाने को कहा था। उस अनुरोध को राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा एक आधिकारिक बयान के माध्यम से सार्वजनिक किया गया।
मालदीव के राष्ट्रपति के कार्यालय द्वारा की गई घोषणा में कहा गया था कि उनका देश उम्मीद करता है कि भारत लोगों की लोकतांत्रिक इच्छा का सम्मान करेगा। यह अनुरोध तब किया गया था जब मुइज़्जू ने माले में भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरेन रिजिजू से मुलाकात की थी। इसके कुछ दिन बाद ख़बर आई थी कि भारत सरकार ने सैनिकों को वापस बुलाने का फ़ैसला ले लिया है।
मालदीव के नये राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की सरकार ने देश के हाइड्रोग्राफिक सर्वे पर भारत के साथ पिछली सरकार के समझौते को आगे नहीं बढ़ाने का फ़ैसला किया है। यह पहला द्विपक्षीय समझौता है जिसे नवनिर्वाचित मालदीव सरकार आधिकारिक तौर पर समाप्त कर रही है। नये चुनाव के बाद मालदीव भारत के साथ क़रीब 100 समझौते की समीक्षा करने की बात कह चुका है।
इन्हीं घटनाक्रमों के बीच प्रधानमंत्री मोदी पिछले हफ्ते लक्षद्वीप की यात्रा पर गए थे और उन्होंने वहाँ की तस्वीरें ट्वीट की थीं। उनकी इस यात्रा को लक्षद्वीप के पर्यटन को बढ़ावा देने के तौर पर देखा गया। इसी बीच मालदीव के तीन मंत्रियों ने पीएम मोदी और भारत के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक ट्वीट किए।
जब यह विवाद बढ़ गया तो मालदीव ने प्रधानमंत्री मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के खिलाफ की गई कथित अपमानजनक टिप्पणियों पर तीन मंत्रियों को निलंबित कर दिया है। तीन निलंबित मंत्री- मरियम शिउना, मालशा शरीफ और महज़ूम माजिद हैं।
बहरहाल, चीन पहुँचे मुइज्जू ने एक बयान में कहा है कि कोविड से पहले चीन हमारा (मालदीव का) नंबर एक बाजार था, और मेरा अनुरोध है कि हम चीन को इस स्थिति को फिर से हासिल करने के लिए प्रयास तेज करें।
मुइज्जू ने चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव यानी बीआरआई परियोजना की भी सराहना की और इसमें शामिल होने की इच्छा जताई। दोनों देशों ने हिंद महासागर द्वीप पर एक एकीकृत पर्यटन क्षेत्र विकसित करने के लिए 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर की परियोजना पर हस्ताक्षर किए हैं।
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