घरेलू रसोई गैस के दाम सात साल में दोगुने हो गए हैं तो खाने के तेल की क़ीमतें पिछले एक साल में 50 फ़ीसदी बढ़ गई हैं। ऐसे में सवाल है कि महंगाई का बोझ आम लोगों पर कितना है? यह समझने के लिए एक तरीक़ा तो मुद्रास्फ़ीति का पैमाना है जो काफ़ी पेचिदा है। एक दूसरा तरीक़ा यह है कि यह देखा जाए कि आम लोगों की जेबें कितनी ढीली हो रही हैं। इसके लिए बेहतर पैमाना है रसोई के ख़र्च को देखना। यदि इस पैमाने पर देखा जाए तो रसोई गैस और खाने वाले तेल की क़ीमतें महंगाई की कहानी काफ़ी हद तक बयां कर देती हैं। ऐसे में ग़रीब के घरों का बजट तो गड़बड़ा गया है। लेकिन क्या इनसे सरकार पर भी असर पड़ा है?
महंगाई: रसोई गैस के दाम 7 साल में दोगुने; सरकार मालामाल!
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- 10 Mar, 2021
घरेलू रसोई गैस के दाम सात साल में दोगुने हो गए हैं तो खाने की क़ीमतें पिछले एक साल में 50 फ़ीसदी बढ़ गई हैं। यानी ग़रीब के घरों का बजट तो गड़बड़ा गया है। लेकिन क्या इनसे सरकार पर भी असर पड़ा है?
