मध्य प्रदेश पहला राज्य बनने जा रहा है जो कि लव जिहाद को रोकने के लिए क़ानून ला रहा है। नये क़ानून में 5 साल के कठोर कारावास की सजा का प्रावधान किए जाने की खबर है, साथ ही पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार भी कर सकती है। लेकिन क़ानून के जानकार मान रहे हैं कि राज्यों के अलग-अलग क़ानून बनाने से बेहतर होगा कि केन्द्र की मोदी सरकार संसद से एक ऐसा क़ानून बनाये जो देशभर में लव जिहाद के मामलों के लिए कारगर हो।
लव जिहाद: आंकड़े ही नहीं तो कैसे बनेगा क़ानून?
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- 20 Nov, 2020

जहां शादी हिंदू विवाह अधिनियम, मुसलिम विवाह अधिनियम या विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत हुई है और शादी मान्य है, वहां कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन जहां शादी ही पुरुष या महिला द्वारा अपनी असली पहचान छुपाकर की गयी है, वहां इसके लिए अलग और विशेष क़ानून की ज़रूरत है।
क़ानून के जानकार यहां तक कहते हैं कि लव जिहाद को लेकर अलग से किसी क़ानून की ज़रूरत नहीं है, भारतीय दंड संहिता में इस तरह के मामलों के लिए पहले से ही प्रावधान हैं, जहां 10 साल तक की सजा का प्रावधान है। मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने लव जिहाद पर क़ानून बनाकर 5 से 7 साल तक के कारावास के प्रावधान की बात कही है।