पांचवे चरण में 20 मई को 6 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में 49 लोकसभा सीटों पर मतदान है। इस चरण में, बिहार में 5 सीटें, जम्मू-कश्मीर में 3 सीटें, झारखंड में 3 सीटें, लद्दाख में 1 सीट, महाराष्ट्र में 13 सीटें, ओडिशा में 5 सीटें, उत्तर प्रदेश में 14 सीटें और पश्चिम बंगाल में 7 सीटों पर मुकाबला है।
पांचवें चरण की 49 लोकसभा सीटों में से, उत्तर प्रदेश में अमेठी और रायबरेली, मुंबई उत्तर-मध्य, महाराष्ट्र में मुंबई उत्तर और कल्याण और बिहार में सारण महत्वपूर्ण या हॉट सीट हैं।
1.अमेठी की लड़ाई
अमेठी में इस बार गांधी परिवार ने अपनी रणनीति बदल दी है और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के मुकाबले किशोरी लाल शर्मा को उतारा गया है। हालांकि वो गांधी परिवार से नहीं हैं लेकिन गांधी परिवार उन्हें अपने घर का सदस्य ही मानता है। स्मृति ईरानी की नजर दूसरी बार यहां से जीत पर है। लेकिन किशोरी लाल के आने से उनकी गाड़ी फंस गई है। भाजपा की स्टार प्रचारक होने के बावजूद वो अमेठी से निकल नहीं पाईं। कई जगह उन्हें विरोध का सामना तक करना पड़ रहा है। यहां तक की भंडारा जैसे कार्यक्रम में जाने पर उनका विरोध हुआ। अमेठी से कांग्रेस प्रत्याशी किशोरी लाल शर्मा
2019 में, ईरानी ने यहां राहुल गांधी को 55,000 से अधिक मतों के अंतर से हराया। यह कोई बहुत बड़ा अंतर नहीं है। राहुल गांधी को 2019 में यहां के हालात का आभास हो गया था और वो केरल में वायनाड से दूसरी सीट पर लड़ने चले गए थे। लेकिन इस बार गांधी परिवार ने यह भी किया कि राहुल गांधी को रायबरेली से उतारा गया है, जहां से फिरोज गांधी, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी चुनाव लड़ते रहे हैं।
2. रायबरेली की लड़ाई
राहुल गांधी पहली बार गांधी परिवार के इस गढ़ से चुनाव लड़ रहे हैं। रायबरेली के अलावा, गांधी परिवार ने केरल के वायनाड से भी चुनाव लड़ा है। इस बार गांधी का मुकाबला बीजेपी के दिनेश प्रताप सिंह से है. 2019 में सोनिया गांधी ने दिनेश प्रताप सिंह को 1.67 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था। राहुल की जीत में यहां से कोई शक नहीं कर रहा है और भाजपा प्रत्याशी उस तरह की मेहनत करते नजर नहीं आ रहे हैं, जिस तरह की मेहनत बगल में स्मृति ईरानी कर रही हैं।
रायबरेली से भाजपा प्रत्याशी दिनेश प्रताप सिंह
लेकिन मतदाता तो मतदाता हैं। अमेठी में जब 2019 में वो विचार बदल सकता है तो 2024 में उस पर कैसे भरोसा किया जा सकता है। भाजपा प्रत्याशी को अपने कोर मतदाताओं पर भरोसा है। इसीलिए भाजपा अपना प्रचार अभियान सिर्फ हिन्दुत्व के नाम पर चला रही है।
3. सारण की लड़ाई
लालू प्रसाद यादव के परिवार की सीधी प्रतिष्ठा इस सीट से जुड़ गई है। लालू अभी भी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को संभाल रहे हैं और कई टिकटों के फैसले उन्होंने खुद लिए हैं। उन्होंने अपनी बेटी रोहिणी आचार्य को इस सीट से उतारा है। रोहिणी को मौजूदा भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी से चुनौती मिल रही है, जो तीसरी बार यहां से सांसद बनना चाहते हैं। 2019 में रूडी ने इस सीट से 1.38 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। लेकिन रोहिणी को कम करके इस सीट पर नहीं आंका जा रहा है। सारण से आरजेडी प्रत्याशी रोहिणी आचार्य अपने पिता लालू यादव के साथ
उनका अपने पिता के लिए किडनी दान करना उनका सबसे बड़ा परिचय बन गया है और बच्चे बच्चे की जुबान पर वो इमोशनल कहानी है। इसका काफी फर्क पड़ रहा है। लालू ने खुद भी अपनी बेटी के लिए वोट मांगा है। भाजपा के पास लालू के पुराने किस्से सुनाने के अलावा राष्ट्रीय मुद्दा है लेकिन जनता स्थानीय मुद्दों पर रूड़ी से सवाल कर रही है।
4. मुंबई उत्तर की लड़ाई
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भाजपा के इस गढ़ से चुनावी राजनीति की दुनिया में कदम रखेंगे। इस लोकसभा क्षेत्र में गोयल का मुकाबला कांग्रेस के अभिनेता-राजनेता भूषण पाटिल से होगा। 2019 के आम चुनावों में, भाजपा के गोपाल सी. शेट्टी ने पूर्व अभिनेता-राजनेता उर्मिला मातोंडकर को 4.65 लाख से अधिक वोटों के भारी अंतर से हराया था। पीयूष गोयल को मोदी की छवि और राष्ट्रीय मुद्दों पर जीतने का भरोसा है। संसाधनों में भाजपा बहुत आगे है। पीयूष गोयल
लेकिन भूषण पाटिल के पक्ष में एक ही बात जाती है कि वो यहां के स्थानीय निवासी हैं और पीयूष गोयल बाहरी हैं। इलाके में मतदाता भूषण पाटिल को ज्यादा जानते हैं। इस सीट पर मराठी मतदाताओं की संख्या भी बहुत ज्यादा है। मुस्लिम मतदाता भी यहां काफी बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। इस तरह पीयूष गोयल का कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है।
5. मुंबई उत्तर-मध्य की लड़ाई
अजमल कसाब की फांसी के मामले में मशहूर हुए प्रतिष्ठित सरकारी वकील उज्ज्वल निकम यहां से भाजपा उम्मीदवार हैं। निकम को हर कोई जानता है लेकिन मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ भी किसी मामले में उनसे कम नहीं हैं। 2019 में भाजपा की पूनम महाजन ने कांग्रेस की प्रिया दत्त को 1.30 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया था। भाजपा प्रत्याशी उज्जव निकम
लेकिन भाजपा ने इस बार पूनम महाजन को टिकट न देकर उज्जवल निकम को दिया। इससे स्व. प्रमोद महाजन के वफादार स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं में रोष है। वे पूछ रहे हैं कि पूनम महाजन का टिकट किस आधार पर काटा गया है।
6. कल्याण की लड़ाई
राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे डॉ श्रीकांत शिंदे के इस सीट से खड़े होने से यह लड़ाई शिवसेना (शिंदे) बनाम शिवसेना (यूबीटी) बन गई है। शिवसेना (यूबीटी) ने वैशाली दारेकर-राणे को इस सीट से शिंदे के खिलाफ उतारा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में डॉ. श्रीकांत शिंदे ने इस सीट से 3.44 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। 2019 के बाद यहां समीकरण और स्थितियां बदल चुकी हैं। डॉ शिंदे ने पिछला चुनाव शिवसेना के नाम पर जीता था, जो तब टूटी नहीं थी। लेकिन अब शिवसेना टूट चुकी है। एनडीए प्रत्याशी डॉ श्रीकांत शिंदे अपने पिता और सीएम एकनाथ शिंदे के साथ
महाराष्ट्र के कोने-कोने में यह बात पहुंच चुकी है कि किसने किसको धोखा दिया है। यह मुद्दा भले ही प्रत्यक्ष न दिखता हो लेकिन आम मतदाताओं से जब बात की जाती है तो कहीं न कहीं वो इस बात को बोल देते हैं। शिवसेना शिंदे के पक्ष में बस एक ही बात जा रही है कि कल्याण सीट पर यूपी-बिहार से आए लोग मतदाता हैं। उनका झुकाव डॉ शिंदे की तरफ दिखाई देता है। पीएम मोदी ने 15 मई को यहां एक रैली संबोधित कर माहौल बदलने की कोशिश की है।
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