सरकार ने ही कहा है कि वह चुनाव से जुड़े क़ानून में बदलाव लाने के लिए चुनाव आयोग से संपर्क में है। क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को बताया कि सरकार इसको लेकर चुनाव आयोग को विधायी समर्थन देने पर विचार कर रही है। उनका कहना है कि सरकार ऐसा जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन के माध्यम से 'प्रमुख चुनावी सुधारों' के लिए कर रही है। हालाँकि, उन्होंने यह साफ़ नहीं किया कि जिन क़ानून में सरकार संशोधन करना चाहती है उनमें क्या कमियाँ, खामियाँ या गड़बड़ियाँ हैं।
अब चुनाव से जुड़े क़ानून में बदलाव क्यों लाना चाहती है सरकार?
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- 6 Oct, 2022
क्या चुनाव से जुड़े क़ानून में खामियाँ हैं? आख़िर सरकार उन क़ानूनों में बदलाव लाने के लिए चुनाव आयोग से संपर्क क्यों कर रही है?

क़ानून मंत्री के इस बयान से पहले ही चुनाव आयोग ने भी एक पहल की है। फ्रीबीज यानी मुफ़्त की 'रेवड़ी' बांटने को लेकर चुनाव आयोग ने एक परामर्श पत्र जारी किया है। उसमें कहा गया है कि राजनीतिक दल विधानसभा या आम चुनावों से पहले किए गए वादों की लागत का विवरण दें और उन वादों को पूरा करने के लिए पैसे कहाँ से आएँगे, मतदाताओं को इसकी जानकारी भी दें।